विलुप्त श्रेणी का पौधा कोबरा लिली जिसे एरिसेमा ट्रांसलुसेंस के नाम से भी जाना जाता है, को हाल ही में निलगिरी में खोजा गया. इसे 84 वर्ष बाद देखा गया है.
यह खोज के एम प्रभु कुमार एवं तरुण छाबड़ा द्वारा की गयी. जैव-विविधता से सम्बंधित पत्रिका फायटोटेक्सा के मई 2017 अंक में इस संबंध में जानकारी प्रकाशित की गयी.
विश्व में कोबरा लिली के कुछ ही पौधे बचे हैं तथा इन्हें निलगिरी के 10 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में ही पाया जाता है.
यह खोज के एम प्रभु कुमार एवं तरुण छाबड़ा द्वारा की गयी. जैव-विविधता से सम्बंधित पत्रिका फायटोटेक्सा के मई 2017 अंक में इस संबंध में जानकारी प्रकाशित की गयी.
विश्व में कोबरा लिली के कुछ ही पौधे बचे हैं तथा इन्हें निलगिरी के 10 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में ही पाया जाता है.
कोबरा लिली: विलुप्त होने के कगार पर
• यह एक प्रकार का पारदर्शी पौधा है. यह एरिसेमा प्रजाति का एकमात्र पौधा है.
• इसे अंतिम बार ई. बार्नेस द्वारा 1932 में तथा सी.ई.सी. फिशर ने 1933 में खोजा था.
• कोबरा लिली को विश्व भर में इसकी बनावट के कारण बहुमूल्य माना जाता है तथा यह विलुप्त होने के कगार पर है.
• नीलगिरी में पाए जाने वाले मुट्ठी भर कोबरा लिली प्रजातियों में से केवल दो ही स्थानिक प्रजातियां हैं.
• कोबरा लिली पिछले दशकों में लगभग विलुप्त हो चुका है. इस पौधे के अतिरिक्त शोला वृक्ष भी विलुप्ति के कगार पर है.
• कोबरा लिली को एक भक्षक पौधा भी माना जाता है.
• यह एक प्रकार का पारदर्शी पौधा है. यह एरिसेमा प्रजाति का एकमात्र पौधा है.
• इसे अंतिम बार ई. बार्नेस द्वारा 1932 में तथा सी.ई.सी. फिशर ने 1933 में खोजा था.
• कोबरा लिली को विश्व भर में इसकी बनावट के कारण बहुमूल्य माना जाता है तथा यह विलुप्त होने के कगार पर है.
• नीलगिरी में पाए जाने वाले मुट्ठी भर कोबरा लिली प्रजातियों में से केवल दो ही स्थानिक प्रजातियां हैं.
• कोबरा लिली पिछले दशकों में लगभग विलुप्त हो चुका है. इस पौधे के अतिरिक्त शोला वृक्ष भी विलुप्ति के कगार पर है.
• कोबरा लिली को एक भक्षक पौधा भी माना जाता है.
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