वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के शोधकर्ताओं ने गंगा नदी में एक दुर्लभ प्रजाति के सांप की खोज की. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस प्रजाति का सांप 70 वर्ष बाद गंगा में देखा गया.
साइबोल्ड स्मूद सील्ड वाटर स्नेक नाम के इस सांप को खोजे जाने पर जैव विविधता के संकट का सामना कर रही गंगा में सकारात्मक परिणामों की अपेक्षा की जा रही है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा की जैव विविधता में हो रहे परिवर्तन को लेकर एक सर्वेक्षण कर रहा है.
शोधकर्ताओं की एक टीम बिजनौर से कानपुर तक एक विस्तृत सर्वेक्षण कर चुकी है. सर्वेक्षण की टीम में शोधकर्ता आफताब आलम उस्मानी, नरेंद्र मोहन,गौरा चंद्र दास और बिदुपन बरुआ शामिल थे. टीम ने लगातार 12 दिन ये सर्वेक्षण किया.
साइबोल्ड स्मूद सील्ड वाटर स्नेक नाम के इस सांप को खोजे जाने पर जैव विविधता के संकट का सामना कर रही गंगा में सकारात्मक परिणामों की अपेक्षा की जा रही है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा की जैव विविधता में हो रहे परिवर्तन को लेकर एक सर्वेक्षण कर रहा है.
शोधकर्ताओं की एक टीम बिजनौर से कानपुर तक एक विस्तृत सर्वेक्षण कर चुकी है. सर्वेक्षण की टीम में शोधकर्ता आफताब आलम उस्मानी, नरेंद्र मोहन,गौरा चंद्र दास और बिदुपन बरुआ शामिल थे. टीम ने लगातार 12 दिन ये सर्वेक्षण किया.
सर्वेक्षण
• नमामि गंगे परियोजना के अधीक्षक और इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. ए. हुसैन के अनुसार इस सर्वेक्षण के दौरान उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के इंद्राघर के पास साइबोल्ड स्मूद सील्ड वाटर स्नेक पाया गया.
• इस सांप की लम्बाई लगभग 65 सेंटीमीटर है.
• इसके अतिरिक्त, 570 किलोमीटर के सर्वेक्षण में स्मूद कोटेड ऑटर (ऊदबिलाव) की भी खोज की गई.
• गंगा के आसपास बने प्राकृतिक टापू में रहने वाली पक्षियों की कुछ प्रजातियां भी इस सर्वेक्षण में पायी गई.
• आगे किये जाने वाले सर्वेक्षण में डॉल्फिन, घड़ियाल, ऊदबिलाव, मगरमच्छ, सांप आदि की गंगा में उपस्थिति का पता लगाया जाएगा.
• नमामि गंगे परियोजना के अधीक्षक और इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. ए. हुसैन के अनुसार इस सर्वेक्षण के दौरान उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के इंद्राघर के पास साइबोल्ड स्मूद सील्ड वाटर स्नेक पाया गया.
• इस सांप की लम्बाई लगभग 65 सेंटीमीटर है.
• इसके अतिरिक्त, 570 किलोमीटर के सर्वेक्षण में स्मूद कोटेड ऑटर (ऊदबिलाव) की भी खोज की गई.
• गंगा के आसपास बने प्राकृतिक टापू में रहने वाली पक्षियों की कुछ प्रजातियां भी इस सर्वेक्षण में पायी गई.
• आगे किये जाने वाले सर्वेक्षण में डॉल्फिन, घड़ियाल, ऊदबिलाव, मगरमच्छ, सांप आदि की गंगा में उपस्थिति का पता लगाया जाएगा.
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