बेंगलुरु की सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी (सीआईसी) द्वारा 01 मई 2017 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी विभागों द्वारा 13.5 करोड़ लोगों का आधार कार्ड डाटा सार्वजनिक कर दिया गया. इससे लोगों की निजी सूचनाओं को किसी के द्वारा भी देखे जाने का संदेह पैदा हो गया है.
सीआईएस की यह रिपोर्ट चार सरकारी विभागों की वेबसाइट एवं पोर्टल की जांच के बाद तैयार की गई. इस रिपोर्ट में यह जानकारी नहीं दी गई कि इसके सार्वजनिक होने के पीछे क्या कारण है. रिपोर्ट ने अनुसार दस करोड़ लोगों के बैंक खाता संख्या भी लीक होने की आशंका है.
सीआईएस की यह रिपोर्ट चार सरकारी विभागों की वेबसाइट एवं पोर्टल की जांच के बाद तैयार की गई. इस रिपोर्ट में यह जानकारी नहीं दी गई कि इसके सार्वजनिक होने के पीछे क्या कारण है. रिपोर्ट ने अनुसार दस करोड़ लोगों के बैंक खाता संख्या भी लीक होने की आशंका है.
यह जानकारी चार सरकारी पोर्टल से प्राप्त की गयी. इनमें राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के दो पोर्टल तथा आंध्र प्रदेश सरकार की दो वेबसाइट शामिल हैं.
गौरतलब है कि आधार से जुड़ी जानकारी जैसे जन्म तिथि, पता, आधार नंबर आदि को सार्वजनिक करना आधार कानून-2016 के तहत अपराध है. लीक हुई यह जानकारियां ऑनलाइन सर्च करने पर आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं.
पहले भी हो चुका है
इससे पहले 22 अप्रैल 2017 को झारखंड सरकार की लापरवाही से राज्य में 14 लाख से अधिक लोगों का आधार डाटा सार्वजनिक हो गया था. इसमें महेंद्र सिंह धोनी का डाटा भी शामिल था. मामला सामने आने पर वेबसाइट से आधार नंबर कूटभाषा में कर दिया गया था. वर्ष 2009 में केंद्र सरकार द्वारा आधार कार्ड बनाने की परियोजना शुरू की गयी थी. इस परिजयोजना के तहत अब तक 113 करोड़ लोगों का आधार कार्ड बनाया जा चुका है.
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