उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी योजनाओं से अल्पसंख्यक कोटा समाप्त करने की घोषणा कर दी है. समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने इस कोटे को खत्म करने हेतु सहमति प्रदान की है. समाज कल्याण मंत्री के अनुसार योजनाओं में कोटा देना उचित नहीं है. योजनाओं से बिना भेदभाव के सभी का विकास किया जाना चाहिए.
इससे पहले प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी भी अल्पसंख्यक कोटे को खत्म करने की सहमति व्यक्त कर चुके हैं.
इससे पहले प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी भी अल्पसंख्यक कोटे को खत्म करने की सहमति व्यक्त कर चुके हैं.
अल्पसंख्यक योजना के बारे में-
- यूपी सरकार के समाज कल्याण विभाग की तमाम योजनाओं में अल्पसंख्यकों हेतु पूर्ववर्ती सरकार ने 20 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया था.
- अल्पसंख्यकों हेतु पूर्ववर्ती सरकार द्वारा निर्धारित किए गए कोटे हेतु विशेष गाइडलाइन जारी की गई.
- प्रदेश सरकार की कुल 85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों को 20 प्रतिशत कोटे का लाभ दिया जा रहा है.
- इनमें सबसे ज्यादा योजनाएं समाज कल्याण और ग्राम विकास विभाग की हैं.
- अब तक प्रदेश सरकार के तमाम शासनादेशों में लिखा जाता था कि योजना में कम-से-कम 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को कवर किया जाए.
- इसके अलावा जिन क्षेत्रों में कम-से-कम 25 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यकों की होती थी, वहां योजनाओं को सख्ती से लागू किए जाने के निर्देश दिए जाते थे.
- प्रदेश भर में सभी जिला अधिकारियों के अधीन एक कमिटी बनाई गई थी, जो इसकी निगरानी करती थी.
85 योजनाओं में कोटा-
- यूपी सरकार की योजनाओं में अल्पसंख्यकों को कोटा देने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 में की. योजना के तहत प्रदेश सरकार की 85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों के लिए 20 फीसदी कोटा निर्धारित किया गया.
- जिन विभागों में पूर्व सरकार द्वारा कोटा दिया जाता था वह निम्न हैं-
कृषि, गन्ना विकास, लघु सिंचाई, उद्यान, पशुपालन, कषि विपणन, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, लघु उद्योग, खादी ग्रामोद्योग, रेशम विकास, पर्यटन, बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, युवा कल्याण, नगर विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, पिछड़ा वर्ग कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा, समाज कल्याण, विकलांग कल्याण, महिला कल्याण, दुग्ध विकास, समग्र ग्राम विकास में कोटा का लाभ अल्पसंख्यकों को मिल रहा था.
टिप्पणी-
टिप्पणी-
पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने यह फैसला नैशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्टों के बाद लिया. सर्वे की रिपोर्टों में धार्मिक समूहों में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को आधार बनाया गया. रिपोर्टों में कहा गया था कि मुसलमानों का औसत प्रति व्यक्ति खर्च रोजाना सिर्फ 32.66 रुपये है.
ग्रामीण क्षेत्रों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपये, जबकि हिंदुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपये बताया गया था. शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपये था जबकि हिंदुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपये था.
योगी सरकार द्वारा बंद की गयीं अन्य योजनाएं-
ग्रामीण क्षेत्रों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपये, जबकि हिंदुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपये बताया गया था. शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपये था जबकि हिंदुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपये था.
योगी सरकार द्वारा बंद की गयीं अन्य योजनाएं-
- साथ ही समाजवादी पेंशन योजना पर रोक के साथ पोषण मिशन कमेटी भी रद्द कर दी गई है.
- इसके अलावा जिन योजनाओं पर समाजवादी शब्द था, उसे भी हटा दिया गया है.
- समाजवादी शब्द की जगह मुख्यमंत्री लिखा गया है.
0 comments:
Post a Comment