स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पॉलिसी-
- स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पॉलिसी केंद्र सरकार अगले वर्ष तक 20 अरब डॉलर यानी करीब 1,20,920 करोड़ रुपए से अधिक के बड़े ऑर्डर्स पर फैसला करेगी.
- इन ऑर्डर्स के लिए छह कंपनियों की सूची बनाई जाएगी. जिसे डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हेतु विशेष दर्जा प्रदान किय जाएगा.
- कंपनियों का चयन उनकी वित्तीय ताकत और तकनीकी विशेषज्ञता के आधार पर किया जाएगा.
- इस सूची में शामिल होने के लिए देश की बड़ी कंपनियों में होड़ शुरू हो गई है.
- यह कंपनियां सेना और विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर फाइटर जेट्स, हेलीकाप्टर, बख्तरबंद वाहन और सबमरींस का निर्माण करेंगी.
- अनुमान के अनुसार स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पॉलिसी को मंजूरी मिलने के बाद भारतीय कंपनी लार्सेन एंड टुब्रो, महिंद्रा ग्रुप, टाटा ग्रुप और रिलायंस व अडानी ग्रुप आगे आएंगे.
18 महीनों से अटकी थी पॉलिसी-
- यह पॉलिसी पिछले 18 महीनों से अटकी हुई थी. रक्षा मंत्री अरुण जेतली के हस्तक्षेप और स्टेकहोल्डर्स के साथ कई दौर की मीटिंग के बाद इसे कुछ सप्ताह में ही क्लियर कर दिया गया.
- प्राइवेट डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछले तीन वर्षों से डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से ऑर्डर्स के इन्तजार में था.
- रक्षा मंत्री अरुण जेतली के अनुसार 24 मई 2017 को एक मीटिंग में कैबिनेट को स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पॉलिसी के बारे में जानकारी दी गई. अभी इसके लिए चार सेगमेंट- हेलिकॉप्टर, सबमरीन, आर्मर्ड व्हीकल्स और फाइटर जेट की पहचान की गई है.
9 महीने में चुनने होंगे विदेशी पार्टनर्स-
- डिफेंस मिनिस्ट्री को 9 महीने की अवधि में चार सेगमेंट हेतु विदेशी पार्टनर्स को तलाशने का काम भी शुरू करना होगा.
- भारतीय कंपनियों को चुनने के लिए नौ महीने का लक्ष्य रखा गया है.
- यह काम तकनीकी आकलन और फील्ड ट्रायल के आधार पर किया जाएगा.
- विदेशी कंपनियों को शॉर्टलिस्ट करने के बाद भारतीय कंपनियों के पूल को कोलेब्रेशन की योजना बनाने और जॉइंट प्रपोजल पेश करने के लिए निमंत्रित किया जाएगा.
- पॉलिसी के तहत, एक भारतीय कंपनी को केवल एक स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप प्रॉजेक्ट में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाएगी.
टिप्पणी-
रक्षा उपकरणों के ज्यादा से ज्यादा साजो-सामानों का निर्माण अब देश में किया जाएगा. रक्षा मंत्री जेटली ने कहा कि काफी समय से यह मांग थी कि रक्षा उपकरण काफी महंगे आते हैं, इसी वजह से इन उपकरणों का निर्माण भारत में ही होना चाहिए. रक्षा उपकरणों के निर्माण में प्राइवेट सेक्टर की रणनीतिक साझेदारी भी शुरू की जाएगी.
रक्षा उपकरणों के ज्यादा से ज्यादा साजो-सामानों का निर्माण अब देश में किया जाएगा. रक्षा मंत्री जेटली ने कहा कि काफी समय से यह मांग थी कि रक्षा उपकरण काफी महंगे आते हैं, इसी वजह से इन उपकरणों का निर्माण भारत में ही होना चाहिए. रक्षा उपकरणों के निर्माण में प्राइवेट सेक्टर की रणनीतिक साझेदारी भी शुरू की जाएगी.
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