केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून 2016 लागू किया-(06-MAY-2017) C.A

| Saturday, May 6, 2017
केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र में रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून 2016, 1 मई से लागू कर दिया. पिछले वर्ष मार्च 2016 में संसद से पारित कानून में रियल एस्टेट की 92 धाराएं हैं. रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून 2016 (रेरा) में खरीदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रावधान हैं.

केंद्र सरकार के अनुसार देश में प्रत्येक राज्य में रेगुलेटरी अथॉरिटी बनानी होगी. अथॉरिटी केंद्र सरकार के मॉडल कानून के अनुसार नियम बनाएगी. उपभोक्ता अथॉरिटी के पास ही शिकायत कर सकेंगे. प्रोजेक्ट में तय समय से देरी होने पर डेवलपर पर जुर्माना लगेगा.

अपार्टमेंट या घर की बिक्री के पांच साल तक बिल्डिंग के ढांचे में या कोई और खामी सामने आती है तो डेवलपर उसे 30 दिन के भीतर दुरुस्त कराना होगा.
इंडस्ट्री के अनुसार प्रोपर्टी के दाम 10% तक बढ सकेंगे.

आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार जिन राज्यों ने अभी तक नियम नोटिफाई नहीं किए हैं, उनपर आम लोगों का दबाव होगा.
इंडस्ट्री बॉडी क्रेडाई और नरेडको के अनुसार इस कानून से रियल्टी सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी. 

जिन राज्यों में रेरा लागू -
  • अभी तक सिर्फ 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नियम नोटिफाई किए गए हैं.
  • देश के कुछ राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार में रियल एस्टेट रेगुलेशन कानून 2016 (रेरा) लागू कर दिया गया है.  आवास मंत्रालय अंदमान नीकोबार, चंडीगढ़, दादरा-नागर हवेली, दमण-दीव और लक्षद्वीप के लिए नियम नोटिफाई कर चुका है.
  • शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली के नियमों को अधिसूचित किया है.
  • निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, कीमत अभी तो स्थिर रहेगी लेकिन छह महीने में 10% तक इजाफा हो सकता है.
रेरा के बाहर रखे गए प्रोजेक्ट्स-
  • यूपी में उन प्रोजेक्ट्स को रेरा के बाहर स्थान दिया गया है जिन बाहर रखा प्रोजेक्ट्स के डेवलपमेंट कार्य पूरे हो गए और डेवलपर ने कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है.
  • जहां कॉमन एरिया मेंटिनेंस के लिए आरडब्लूए या एसोशिएशन को सौंप दिया गया.
  • जहां डेवलपमेंट कार्य पूरे हो गए और 60% अपार्टमेंट/प्लॉट के सेल डीड पूरे हो चुके हैं.
प्रमुख तथ्य-
  • कम से कम 500 वर्ग मीटर जमीन पर बनने या 8 अपार्टमेंट वाले प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. चाहे वह आवासीय हो या कॉमर्शियल.
  • रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर प्रोजेक्ट की लागत के 10% तक पेनाल्टी लगेगी.
  • जिन प्रोजेक्ट्स को अभी कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है, उनका 3 माह में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा.
  • रजिस्ट्रेशन के बाद ही डेवलपर विज्ञापन दे सकता है.
  • रियल एस्टेट एजेंटों के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है.
  • खरीदार, डेवलपर दोनों पर ही जुर्माने की ब्याज दर को एक समान किया गया है.
  • प्रोजेक्ट में तय समय से देरी होने पर डेवलपर पर जिस ब्याज दर से जुर्माना लगेगा, वही जुर्माना देरी से पेमेंट करने वाले खरीदार पर भी लागू होगा.
  • डेवलपर को रेगुलेटर की वेबसाइट पर प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी देनी होगी.
सजा का प्रावधान -
  • अपीलेट ट्रिब्यूनल और रेगुलेटरी अथॉरिटी के आदेशों का उल्लंघन करने पर डेवलपर को तीन साल तक जेल हो सकती है. एजेंट और खरीदार के लिए एक साल की जेल का प्रावधान है.
5 साल तक खामी होने पर बिल्डर जिम्मेदार-
  • अपार्टमेंट या घर की बिक्री के पांच साल तक बिल्डिंग के ढांचे में या कोई और खामी सामने आती है तो डेवलपर उसे 30 दिन के भीतर दुरुस्त कराएगा.
  • अन्यथा की स्थिति में वह खरीदार को मुआवजा देगा.
  • प्रोजेक्ट के लिए खरीदारों से ली रकम का 70% अलग अकाउंट में रखना पड़ेगा.
  • इसका इस्तेमाल उसी प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन में होगा.
बैंकों की भूमिका- 
रियल्टी प्रोजेक्ट्स को कर्ज देने वाले बैंकों का कहना है कि नए कानून में उनकी भूमिका स्पष्ट नहीं की गई.
सिर्फ खरीदारों की चिंता का निवारण किया गया है. बैंक अभी कर्ज वसूली के आखिरी उपाय के तौर पर सिक्युरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एक्ट का इस्तेमाल करते हैं.
कुछ बैंकरों के अनुसार डेवलपर को दिए कर्ज की वापसी सुनिश्चित नहीं हुई तो बैंक कर्ज घट सकता है.

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