मानव तस्करी रोकने के लिए केंद्र बनाएगा जांच एजेंसी-(11-DEC-2015) C.A

| Friday, December 11, 2015

मानव तस्करी रोकने को 30 नवंबर, 2016 तक संगठित अपराध जांच एजेंसी (ओसीईए) गठित करने का आदेश दिया है. अदालत ने सरकार से 1 दिसंबर, 2016 से एजेंसी का कामकाज शुरू कराना भी सुनिश्चित करने को कहा है. बच्चों और लड़कियों की तस्करी के पीछे यौन शोषण एक बड़ा कारण है.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने  महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह व्यापारिक और यौन शोषण के लिए तस्करी की रोकथाम, पीड़ितों के बचाव और पुनर्वास जैसे मुद्दों से निपटने के लिए एक सुगम्य कानून बनाने के मुद्दे पर छह महीने में विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरा करे और कमेटी गठित करके छह महीने के भीतर अपनी प्रगति रिपोर्ट सरकार को सौंपे.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने वर्ष 2014 से 30 सितंबर 2015 के बीच अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत बालिकाओं की तस्करी के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी के डेटा एक पखवाड़े के भीतर प्रदान करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों,और गृह मंत्रालय (एमएचए) को निर्देशित किया.
न्यायमूर्ति एआर दवे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को वेश्यावृत्ति में फंसी महिलाओं को मुक्त कराने और उनका पुनर्वास कराने के मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इससे सम्बंधित एक जनहित याचिका वर्ष 2004 में दायर की गयी थी. जनहित याचिका का निपटारा करते हुए शीर्ष अदालत ने बुधवार को उक्त दिशा निर्देश जारी किए.
अदालत ने मंत्रालय को नए कानून पर विचार-विमर्श करने व अपने सचिव की अध्यक्षता में एक पैनल गठित करने और जल्द परामर्श शुरू करके न्यायालय को सूचित करने के स्पष्ट आदेश दिए हैं.
सुनवायी के दौरान सरकार ने अपने हलफनामे में मानव तस्करी रोकने के लिए संगठित अपराध जांच एजेंसी (ओसीआइए) गठित करने की योजना की बात कही थी. इसके बाद कोर्ट ने मानव तस्करी रोकने को समग्र कानून बनाने को लेकर सरकार के प्रयासों को दर्ज करते हुए यह निर्णय दिया.

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