
लोकसभा ने 17 दिसंबर 2015 को ध्वनि मत से मध्यस्थता और सुलह (संशोधन विधेयक) 2015 को पारित कर दिया. इस विधेयक में मामलों के शीघ्रता से निपटारे के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया को और अधिक सुलभ, लागत प्रभावी और उपयुक्ते बनाने के प्रावधान हैं. यह भारत को एक अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिसक मध्यस्थात केन्द्र बनाने की सुविधा भी प्रदान करेगा.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने पूर्व प्रचारित अधिनियम, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 से संबंधित और इससे जुड़े मामलों के लिए अधिनियम में संशोधन के लिए एक अध्यादेश जारी किया था.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 21 अक्टूबर 2015 को इस अध्यादेश को अपनी स्वीकृति दी थी और इसकी सिफारिश राष्ट्रपति के समक्ष भेज दी थी.
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