पेंडोरम टेक्नोलॉजी ने 3 डी प्रिंटिंग का उपयोग करते हुए भारत का पहला कृत्रिम वृक्क ऊतक विकसित किया-(27-DEC-2015) C.A

| Sunday, December 27, 2015
पेंडोरम टेक्नोलॉजी प्रॉइवेट लिमेटिड ने दिसंबर 2015 के तीसरे सप्ताह में भारत का पहला कृत्रिम वृक्क ऊतक विकसित किया.
यह 3 डी मानव अंगों के विनिर्माण क्षेत्र में एक बड़ा कदम है. कृत्रिम वृक्क ऊतक मानव वृक्क के लिए महत्वपूर्ण कार्य करता है जिसमें मेटाबाल्जिम, जैव रसायनों के स्राव जैसे कोलेस्ट्रॉल और एल्बुमिन और डिटोक्सिफिकेशन  शामिल है.
कृत्रिम वृक्क ऊतक की विशेषताएं
• इन टिश्यू  का जीवनचक्र 8 सप्ताह का होता है .
• इस तकनीक से लिवर फेल होने की बीमारी से जूझ रहे मरीजों की जान बचाई जा सकेगी.
• इस तकनीक के दुष्प्रभाव कम है और इसे कम लागत पर बनाया जा सकता है.
यह कैसे बनाया गया ?
5 मिलिमीटर लंबे एक टिश्यू को बनाने के लिए एक करोड़ लिवर सेल्स की जरूरत पड़ती है. इसकी आवश्यकता को बायोमटेरियल ग्लूनकोस, प्रोटीन, जीवित सेल और 3डी आर्किटेक्चीर से पूरा किया जाता है. लेजर से नियंत्रित होने वाले प्रिंटर में विशेष इंसेक्ट को बतौर स्याही उपयोग किया जाता है.
विश्व में 3डी तकनीक के उपयोग से कृत्रिम वृक्क का विकास
इसस पहले 3डी बॉयोप्रिटिंग कंपनी ऑर्गेनोवो (Organovo) ने वर्ष 2013 में पूर्ण रुप से सेलुलर 3डी मानव कृत्रिम वृक्क ऊतक विकसित किया था.
पैंडोरम टेक्नोमलॉजी के बारे में
हैदराबाद स्थित पैंडोरम टेक्नोलॉजी एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी है. कंपनी के सह-संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टीर अरुण चंद्रू ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएस) के तुहिन भौमिक के साथ मिलकर यह शोध किया. दोनों ने वर्ष 2011 में मिलकर इस कंपनी की स्थापना की थी. पैंडोरम टेक्नोलॉजी का उद्देश्य ह्यूमन अंगो (ऑर्गन) की मांग को पूरा करना है.
पैंडोरम ने बायो-बैंक में करोड़ों लिवर सेल्स को एकत्रित किया है, जिन्हें  प्रयोगशाला में मल्टी‍प्लान किया जाता है. इस तकनीक से लिवर फेल होने की बीमारी से जूझ रहे मरीजों की जान बचाई जा सकेगी.

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