प्रवासी पक्षियों के संरक्षण से संबंधित सहमति पत्र को कैबिनेट की मंजूरी-(31-DEC-2015) C.A

| Thursday, December 31, 2015
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 30 दिसंबर 2015 को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण से संबंधित सहमति पत्र को मंजूरी दी. इसके तहत अफ्रीका और यूरेशिया के प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के हस्ताक्षर वाले एक सहमति पत्र को मंजूरी दी गई. प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर सम्मेलन में इसे ‘शिकारी पक्षी पर सहमति पत्र’ भी कहा गया है. इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने वाला भारत 54वां देश है.

प्रवासी पक्षियों के संरक्षण से संबंधित सहमति पत्र का मूल संदर्भ:
‘शिकारी पक्षी पर सहमति पत्र’ 22 अक्टूबर 2008 पर बातचीत हुई और यह 1 नवंबर 2008 से प्रभावी है. यह सहमति पत्र एक समझौता है. यह समझौता प्रवासी पक्षी संरक्षण के अंतर्गत हुआ लेकिन इसका अध्याय 4 का पैरा 4 कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है. सहमति पत्र के तहत देशों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे शिकारी पक्षियों की प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए काम करेंगे. इस समय सहमति पत्र पर पक्षियों की 76 प्रजातियां दर्ज हैं जिनमें से 46 प्रजातियां भारत में भी पाई जाती हैं. इनमें गिद्ध, बाज, उल्लू, चील आदि शामिल हैं.
मौजूदा वन्य जीवन (सुरक्षा) कानून 1972 के प्रावधानों के साथ इस सहमति पत्र को जोड़ने पर निष्कर्ष निकलता है कि भारत जैसे देश भी इसी दायरे में लाया गया है जो इनके संरक्षण और आवास की सुरक्षा करते हैं भले ही दो देशों के आर-पार इनका संरक्षण क्यों न करना पड़े. नेपाल और पाकिस्तान हमारे वे पड़ोसी हैं जो इस सहमति पत्र के दायरे में आते हैं. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत बोन सम्मेलन या प्रवासी पक्षियों पर सम्मेलन का उद्देश्य प्रवासी प्रजातियों के पक्षियों को संरक्षण दिया जाना है. भारत 1 नवंबर 1983 को इसका हिस्सा बना था.

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