राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल 2015 बिना संशोधन के 22 दिसम्बर 2015 को ध्वनिमत से पारित हो गया है. बिल के अनुसार जघन्य अपराधों में नाबालिग अपराधियों की उम्र 18 साल से घटाकर 16 साल कर दी गई है. संसद में 07 मई 20125 को बिल पह्जे ही मंजूर किया जा चुका है. अब बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. इसके बाद इसे क़ानूनी रूप से अम्ल में लाया जाएगा.
इस बिल के जरिये जघन्य अपराध में नाबालिग को पुन: परिभाषित किया गया है और ऐसे अपराधियों की सजा के लिए उम्र घटा दी गई है. अब जघन्य अपराधों के मामलों में 16 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के अपराधी को वयस्क मानकर मुकदमा चलाया जाएगा.
जुवेनाइल जस्टिस बिल 2015 के मुख्य तथ्य-
- इंग्लैंड, चीन, अमेरिका के कई राज्यों में भी हत्या एवं बलात्कार के मामलों में 16 साल के अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है.
- बिल जिस स्वरुप में लोकसभा में पास हुआ उसी स्वरुप में राज्यसभा ने भी पास किया है.
- इस बिल के तहत अधिकतम सजा का प्रावधान 10 साल रखा गया है.
- बिल में सजा ए मौत और उम्र कैद का प्रावधान नहीं हैं.
- बिल पर चर्चा के बाद वोटिंग हुई जिसमें बिल पास हो गया.
- गंभीर अपराध की श्रेणी में उन अपराधों को परिभाषित किया गया है जिनमें सजा 7 साल या उससे अधिक समय तक सजा का प्रावधान है.
- जूवेनाइल पुलिस का प्रावधान है और हर थाने में एक अधिकारी चाइल्ड पुलिस अधिकारी का दर्जा प्राप्त होता है.
- यहाँ एक विसंगति भी देखने को मिलती है, किसी बच्चे की खरीद फरोक्त की सजा पांच साल है वहीँ बच्चों को ड्रग्स बेचने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है.
- बिल पर चर्चा के समय दिल्ली गैंगरेप पीड़िता निर्भया के माता-पिता भी मौजूद थे.
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