भारत स्वास्थ्य रिपोर्ट: पोषण 2015 जारी-(13-DEC-2015) C.A

| Sunday, December 13, 2015


स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा द्वारा 10 दिसम्बर 2015 को भारत स्वास्थ्य रिपोर्ट : पोषण 2015 जारी की गयी.

इस रिपोर्ट में भारत के विभिन्न राज्यों में पोषण की उपलब्धता एवं उसकी वास्तविक स्थिती के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है.

रिपोर्ट के अनुसार देश में बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए पोषण की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जितना जल्दी हो सके कदम उठाये जाने चाहिए. देश में कुपोषण से शिकार बच्चों को बचाने के लिए यह आवश्यक है.
रिपोर्ट की विशेषताएं

•    इसमें राज्यवार आंकड़े दिए गये हैं जिसमें सभी 25 राज्यों एवं दिल्ली में पोषण की उपलब्धता के बारे में जानकारी दी गयी है.
•    यह परिणामों में असमानता और भौगोलिक क्षेत्रों में उनके कई निर्धारकों, सामाजिक-आर्थिक श्रेणियों एवं जनसांख्यिकीय समूहों पर भी प्रकाश डालता है तथा राज्यवार नीति निर्माण में सहायता करता है.
•    इसका उद्देश्य भारत में भारत में नीति वार्ता, बहुक्षेत्र एवं अल्पपोषण शिकायतों सम्बन्धी मुद्दों का हल ढूंढना है.
•    पिछले कुछ समय से भारत में नवजात शिशुओं के अल्पपोषण में कमी आई है. हालांकि भारत अभी भी अन्तरराष्ट्रीय स्तर से काफी पीछे है.
•    भारत के पोषण स्तर में सुधार भारत की आर्थिक उन्नति के अनुपात से बेहद कम है जो संतोषजनक नहीं है. 

सामाजिक परिदृश्य

•    भारत के कृषि एवं आर्थिक परिदृश्य में सुधार का सकारात्मक प्रभाव भारत के पोषण स्तर पर देखने को नहीं मिल रहा जिसमें अनुचित भोजन और देखभाल के तरीके, बीमारियां, परम्पराएं, कन्या एवं बालक के पोषण में अंतर जैसे कारण शामिल हैं.
•    भारत में बेहतर पोषण के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा एवं स्वच्छ पेयजल तथा स्वच्छता जैसे मुद्दे हल करना आवश्यक है.
•    भारत में पोषण के स्तर बढ़ाने एवं कुपोषण में कमी लाने के लिए राज्यों को अपने स्तर पर उचित कदम उठाने होंगे जिससे उचित हल निकाला जा सके.
•    भारत में ख़राब पोषण के मुख्य कारणों में स्तनपान, बच्चे का स्वास्थ्य, आय में असमानता, खाद्य असुरक्षा, जाति एवं श्रेणी, दूषित जल, स्वच्छता की कमी एवं खुले में शौच जाना शामिल है.
•    भारत अल्पपोषण के खतरों को उपेक्षित करता रहा है जिसके कारण देश में आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आ सकती हैं.
•    यह बाल सुरक्षा के लिए भी एक बड़ी चुनौती है. राज्यों को भारत में बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने हेतु ठोस कदम उठाने होंगे.

यह रिपोर्ट राज्यों से जुटाए गये आंकड़ों पर आधारित है तथा उन समस्याओं के निदान पर आधारित है.

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