जिम्बॉब्वे के वित्त मंत्री पैट्रिक चिनामसा ने 21 दिसम्बर 2015 को चीन की मुद्रा युआन को आधिकारिक तौर पर अपनाने की घोषणा की. इससे पहले चीन ने दिसम्बर के दूसरे सप्ताह में जिम्बॉब्वे का करीब 40 मिलियन डॉलर (करीब 264 करोड़ रुपये) का ऋण माफ करने का वायदा किया.
- निर्णय के अनुसार चीन और जिम्बॉब्वे के बीच युआन व्यापार जारी रखने में भूमिका निभाएगा.
- जिम्बाब्वे में ग्राहकों के बीच युआन की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी.
- मानवाधिकार के नियमों की अनदेखी के चलते पश्चिमी देशों ने जिम्बॉब्वे में निवेश करने से दूरो बना ली थी. तभी से इसकी अर्थव्यवस्था संकट से उबरने की कोशिश कर रही है.
- 1999-2008 के बीच आई आर्थिक मंदी ने इसे और गहरा कर दिया.
- इससे महंगाई का स्तर और बढ़ गया, यहाँ तक कि हफ्ते भर का बस का किराया भी करीब 100 ट्रिलियन डॉलर हो गया.
- साल 2009 में हाइपर इनफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए अपनी मुद्रा को छोड़कर अमेरिकी 'डॉलर' और दक्षिण अफ्रीकी 'रैंड' को आधिकारिक मुद्रा के तौर पर अपनाना पड़ा.
- जिम्बॉब्वे पिछले पांच सालों के दौरान 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम चीन से ऋण के तौर पर ले चुका है.
- चीन, साउथ अफ्रीका के बाद जिम्बॉब्वे का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार है.
- स्थानीय लोगों के खर्च पर चीन पर महाद्वीप की विशाल खनिज सम्पदा और ऊर्जा संसाधनों के दोहन करने का आरोप है.
- विशेषज्ञों का कहना है कि जिम्बॉब्वे की आधिकारिक मुद्रा के तौर पर युआन पिछले दो सालों से ही बना हुआ है.
- चीन-जिम्बॉब्वे के बीच संबन्धों में तब और प्रगाढ़ता देखी गई जब चीन ने जिम्बॉब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे को नोबेल शांति पुरस्कार के दावेदार के तौर पर पेश किया.
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