पश्चिम बंगाल के तट पर ईल की नई प्रजाति जिमनोथोरेक्स मिश्रई खोजी गई-(27-DEC-2015) C.A

| Sunday, December 27, 2015
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के वैज्ञानिकों ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिला में स्थित दीघा के तट पर जिमनोथोरेक्स मिश्रई (Gymnothorax mishrai) नामित ईल (Eel) की नई प्रजाति की खोज की.
ईल की नई प्रजाति की खोज डेविड जी स्मिथ और दीपांजन रे के साथ  अनिल महापात्र द्वारा संयुक्त रूप से पत्रिका जूटाक्सा (Zootaxa) में प्रकाशित हुई.
जिमनोथोरेक्स मिश्रई (Gymnothorax mishrai) के बारे में
• यह प्रजाति 32.4 सेमी, लंबी भूरे रंग की है.
• यह एक समुद्री प्रजाति है और खाने योग्य भी है.
• यह जिमनोथोरेक्स समूह में वर्णित अन्य प्रजातियों से अलग है, मोरे मछली की इस प्रजाति की 134 कशेरुकी हड्डियां है.
• यह प्रजाति को विशेष रूप से 22 मीटर की गहराई से एकत्र किया गया.
• इन प्रजातियों का नमूना मछली लैंडिंग केंद्र, शकरपुर में एक मछली पकड़ने की नाव से एकत्र किया गया.
ईल के बारे में
ईल मछली या सांप के समान लम्बी पंख और गलफड़े वाली मछली होती हैं, जो सागर के उथले पानी में रेत, मिट्टी, या चट्टानों के बीच पाई जाती है. ईल अपने शरीर की लंबाई के बराबर लहरे उत्पन्न करके तैरती है. वे लहर की दिशा विपरीत भी तैर कर सकते हैं.
दुनिया भर में ईल की 800 प्रजातियां पाई जाती हैं और भारत में 150-200 ईल की प्रजातियां है.

0 comments:

Post a Comment