सीओपी 21 ने यूएनएफसीसीसी के अधीन पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते को स्वीकार किया-(17-DEC-2015) C.A

| Thursday, December 17, 2015


कांफ्रेस ऑफ़ द पार्टीज़ 21 (सीओपी) ने 12 दिसंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को स्वीकार किया जिसमें 192 देशों ने भाग लिया. भारत की ओर से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस सम्मेलन में मौजूद थे.

यह समझौता क्योटो प्रोटोकॉल के अतिरिक्त वैश्विक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के उपायों के बारे में जानकारी प्रदान करता है. 

प्रत्येक सदस्य के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान के तहत इस रिपोर्ट को तैयार किया गया था जिसमें भारत की भी अहम भूमिका है.

समझौते में विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों में इक्विटी के सिद्धांत एवं समान जिम्मेदारियों और क्षमताओं को ध्यान में रखा गया है.

जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता

•    उद्देश्य: इसका सबसे प्रमुख उद्देश्य विश्व के बढ़ते तापमान को 2 डिग्री से कम पर रोकना है.
•    यह प्रयास किया जाएगा कि तापमान 1.5 डिग्री पर रोक लिया जाए ताकि जलवायु परिवर्तन के अन्य खतरों से निपटा जा सके.
•    सदस्यों द्वारा वनों सहित, जलाशयों एवं अन्य प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण के लिए कदम उठाये जायेंगे.
•    गोद लेना: बढ़ते वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकने एवं जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सदस्य विभिन्न क्षेत्रों में विकास हेतु उन्हें गोद लेंगे.
•    कम करना: सदस्यों ने जलवायु परिवर्तन के नुकसानों में जलवायु में हो रहे परिवर्तन एवं उसके प्रतिकूल प्रभाव को स्वीकार किया. इसमें मौसम की अत्यधिक क्रूर घटनाओं और हाल में आरंभ हुए बदलावों को भी स्वीकार किया गया. 
•    तकनीक का महत्व: सदस्यों ने तकनीक द्वारा दीर्घावधि विकास एवं सकारात्मक बदलाव के महत्व को भी स्पष्ट किया.
•    क्षमता निर्माण: समझौते के अनुसार प्रयासों का निर्धारण राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय एवं स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर होना चाहिए.
•    अर्थव्यवस्था: विकसित देश वर्ष 2020 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का फंड जुटाएंगे ताकि विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन रोकने के उचित प्रयास किये जा सकें.
•    क्रियान्वयन: समझौते को लागू करने एवं इसके अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यप्रणाली तैयार की गयी.
•    पुनरीक्षण: पेरिस समझौते में शामिल सदस्य वर्ष 2023 में इस विषय का पुनरीक्षण करेंगे तथा प्रत्येक पांच वर्ष बाद इसका पुनरवलोकन किया जायेगा.
•    हस्ताक्षर और अनुसमर्थन : इस समझौते पर 22 अप्रैल 2016 से 21 अप्रैल 2017 के बीच हस्ताक्षर किये जायेंगे. इसके बाद, हस्ताक्षर हो जाने की तिथि से यह समझौता परिग्रहण के लिए उपस्थित रहेगा.
•    प्रवर्तन: यह समझौता कम से कम 55 सदस्यों द्वारा अपनाए जाने के 13वें दिन से प्रवर्तन के लिए तैयार माना जायेगा.  

समझौते का महत्व

•    इसमें सार्वजनिक किन्तु भिन्न जिम्मेदारी वाले सिद्धांत को अपनाया गया है ताकि जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण किया जा सके जिस पर भारत कई वर्षों से आवाज़ उठा रहा है.
•    यह विकासशील देशों के राष्ट्रीय विकास की आवश्यकताओं और छोटे देशों के बीच सही संतुलन कायम करता है. इसमें देश स्वतः ही वर्ष 2020 के बाद उठाये जाने वाले कदमों के बारे में बताएँगे.
•    इसके उद्देश्यों को वर्ष 2030 के सतत विकास एजेंडे को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इसमें निहित 13वें उद्देश्य के अनुसार जलवायु परिवर्तन पर तुरंत कदम उठाने के लिए कहा गया है.

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