झारखण्ड सरकार ने 1 दिसम्बर 2015 को पूरे राज्य को सूखाग्रस्त घोषित किया. राज्य ने केंद्र सरकार से सहायता की मांग भी की.
यह निर्णय मुख्यमंत्री रघुबर दास की अध्यक्षता वाली कैबिनेट मीटिंग में लिया गया जिसके कारणों में वर्ष 2015 में हुई बेहद कम बारिश की वजह से फसलों का बर्बाद होना शामिल है. राज्य कैबिनेट ने यह निर्णय भी लिया कि केंद्र सरकार को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी जाएगी ताकि केंद्र सरकार की टीम सूखा प्रभावित राज्य का दौरा करने के लिए एक टीम भेज सके.
इससे पहले राज्य कृषि विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि राज्य के 64 ब्लॉक में फसल 50 प्रतिशत बर्बाद हुई है जबकि 62 ब्लॉक में 40 प्रतिशत नुकसान हुआ है.
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