भारत सरकार एवं फेडरल रिपब्लिक ऑफ़ जर्मनी (केएफडब्ल्यू) ने 5 अक्टूबर 2015 को 125 मिलियन यूरो के दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये. इन समझौतों का उद्देश्य हरित उर्जा कॉरिडोर कार्यक्रम को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. यह दो परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश में कार्यान्वित की जायेंगी.
जर्मनी हिमाचल प्रदेश परियोजना में 57 मिलियन यूरो तथा आंध्र प्रदेश परियोजना में 68 मिलियन यूरो की सहायता राशि प्रदान करेगा.
जर्मनी हिमाचल प्रदेश परियोजना में 57 मिलियन यूरो तथा आंध्र प्रदेश परियोजना में 68 मिलियन यूरो की सहायता राशि प्रदान करेगा.
हरित उर्जा कॉरिडोर
हरित उर्जा कॉरिडोर कार्यक्रम का उद्देश्य अक्षय ऊर्जा के प्रवाह को सुविधाजनक बनाना है. दूसरे शब्दों में, ग्रिड में पारंपरिक ऊर्जा स्टेशनों के साथ, सौर और पवन उर्जा के अक्षय स्रोतों से उत्पादित बिजली को देश भर में उपलब्ध कराना है.
इस परियोजना को पावरग्रिड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड द्वारा वर्ष 2012 में तैयार किया गया तथा इसकी कुल लागत 43,000 करोड़ रुपये है.
अप्रैल 2013 में बर्लिन में हुई दूसरी इंडो-जर्मन गवर्नमेंट कंसल्टेशन के दौरान जर्मनी ने विकास और तकनीकी सहायता के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की थी.
अक्षय उर्जा भारत-जर्मनी पार्टनरशिप का विशेष क्षेत्र है. इसके बारे में हेनोवर में अप्रैल 2015 में संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया था.
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