एनएसएसओ ने भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति पर 68वें दौर के आंकड़े जारी किए-(30-SEP-2015) C.A

| Wednesday, September 30, 2015
22 सितंबर 2015 को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति पर 68वें दौर के आंकड़े जारी किए. यह रिपोर्ट जुलाई 2011 से जून 2012 के बीच एनएसएस के 68वें दौर द्वारा आयोजित रोजगार एवं बेरोजगार सर्वेक्षण पर आधारित है.
सर्वेक्षण 12737 एफएसयू ( 7469 गांवों और 5268 शहरी प्रखंडों) में किया गया था जिसमें 101724 परिवारों ( गांवों के 59700 और शहर के 42024) को शामिल किया गया और 456999 लोगों ( गांवों के 280763 और शहर के 176236) को इसके बारे में बताया गया.

सामान्य साक्षरता दर 
• 15 वर्ष और उससे अधिक के आयु वर्ग में ग्रामीण इलाकों के 18.2 फीसदी और शहरी इलाकों के 5.9 फीसदी घरों में एक भी साक्षर सदस्य नहीं था जो एक साधारण संदेश को भी समझ के साथ पढ़ और लिख सकता हो. 
• साल 2011–12 में 7 वर्ष औऱ उससे अधिक के व्यक्तियों के बीच साक्षरता दर 74.7 फीसदी थी जिसमें ग्रामीण इलाकों में 70 फीसदी और शहरी इलाकों में 86 फीसदी थे. 
• ग्रामीण इलाकों में पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता दर क्रमशः 79.1 फीसदी और 60.6 फीसदी थी. शहरी इलाकों में, साक्षरता दर पुरुषों के लिए 91.1 फीसदी और महिलाओँ के लिए 80.3 फीसदी थी. 
• 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र वाले लोगों के बीच सिर्फ 2.4 फीसदी लोगों के पास ही तकनीकी डिग्री या डिप्लोमा या सर्टिफिकेट थे. ग्रामीण क्षेत्रों में इसका अनुपात 1.1 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 5.5 फीसदी था. 

5–29 वर्ष के उम्र के व्यक्तियों का शैक्षणिक संस्थानों में उपस्थिति 
• 5–29 वर्ष के आयु वर्ग में करीब 57.7 फीसदी लोगों के शिक्षण संस्थानों में होने का अनुमान लगाया गया था. 
• 5–29 वर्ष के आयु वर्ग में ग्रामीण इलाकों में शहरी क्षेत्र के 58.5 फीसदी की तुलना में 57.4 फीसदी लोग शैक्षणिक संस्थानों में भाग ले रहे हैं. 
• 5–29 वर्ष के आयु वर्ग में करीब 64.5 फीसदी लोग सरकारी और स्थानीय निकाय के शिक्षण संस्थानों में हैं, 22.5 फीसदी निजी गैरवित्तपोषित संस्थानों में और 12.3 फीसदी निजी वित्त पोषित संस्थानों में हैं. 
• फिलहाल किसी भी शिक्षण संस्थान से नहीं जुड़ने वाले 70 फीसदी से भी अधिक पुरुष के लिए मुख्य वजह थी– 'घर की आमदनी में सहयोग' करना. 
• आधी से अधिक महिलाओं के किसी भी शिक्षण संस्थान न जाने की एक मात्र वजह ' घरेलू कामकाज करना' थी. 
• रिपोर्ट के अनुसार 'शिक्षा को अनिवार्य नहीं मानने' की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के करीब 27 फीसदी और शहरी क्षेत्रों के करीब 26.4 फीसदी लोग कभी भी शिक्षण संस्थान का हिस्सा नहीं बने. 
• रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के 3.6 फीसदी और शहरी क्षेत्र के 3.4 फीसदी ने स्कूल बहुत दूर होने की वजह से कभी किसी शिक्षण संस्थान नहीं गए. 
• ग्रामीण इलाकों में 24.7 फीसदी पुरुष और 28.4 फीसदी महिलाएं और शहरी क्षेत्र में 22.9 फीसदी पुरुष और 29 फीसदी महिलाओं ने कभी शिक्षण संस्थान न जाने की वजह, 'शिक्षा को अनिवार्य नहीं समझना' बताया. 
• पुरुषों में, ग्रामीण इलाकों के करीब 25 फीसदी और शहरी इलाकों के करीब 33.2 फीसदी ने 'घर की आमदनी में सहयोग' को वजह बताया. 
• महिलाओं में, ग्रामीण इलाकों में करीब 29.3 फीसदी और शहरी इलाकों में करीब 28.1 फीसदी ने कभी भी शिक्षण संस्थान न जाने की वजह ' घरेलू कामकाज ' बताया. 

15–59 साल के व्यक्तियों में व्यावसायिक प्रशिक्षण 
• 15–59 आयु वर्ग के व्यक्तियों के बीच, करीब 2.2 फीसदी लोगों के औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण और 8.6 फीसदी लोगों के गैर– औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की सूचना मिली है. 
• ग्रामीण इलाकों में, करीब 0.9 फीसदी महिलाओं की तुलना में 1.6 फीसदी पुरुष और शहरी इलाकों में 3.3 फीसदी महिलाओं की तुलना में 5 फीसदी पुरुषों के औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की सूचना है. 
• ग्रामीण इलाकों में, करीब 5.5 फीसदी महिलाओं की तुलना में 11.1 फीसदी पुरुष और शहरी इलाकों में 4.3 फीसदी महिलाओं की तुलना में 13.7 फीसदी पुरुषों के गैर औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की सूचना है. 
• ग्रामीण पुरुषों में जिन्होंने व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है/ कर रहे हैं में 'ड्राइविंग और मोटर मकैनिक काम' के क्षेत्र में प्रशिक्षण पाने वालों का प्रतिशत सबसे अधिक ( 22.3 फीसदी) था जबकि शहरी पुरुषों में ' कंप्यूटर ट्रेड्स ' ( 26.3 फीसदी) में.  
• ग्रामीण महिलाओं में जिन्होंने व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है/ कर रही हैं, में ' कपड़ा संबंधित काम' के क्षेत्र में प्रशिक्षण लेने वालियों का प्रतिशत सबसे अधिक ( 32.2 फीसदी) था जबकि शहरी महिलाओँ में ' कंप्यूटर ट्रेड्स ' ( 30.4 फीसदी) में. 

टिप्पणी 
व्यावसायिक शिक्षा पर आंकड़े वाकई चिंताजनक है क्योंकि व्यावसायिक शिक्षा की दर में 2004– 05 और 2011–12, जब पिछली बार आंकड़े एकत्र किए गए थे, में मामूली बढ़त दर्ज की गई है. 

मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली भूतपूर्व यूपीए सरकार द्वारा 2009 में घोषित महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय कौशल नीति  और उससे पहले राष्ट्रीय कौशल विकास समन्वय बोर्ड के गठन के बावजूद इस क्षेत्र की स्थिति में कोई खास फर्क नहीं आया है. 

ये आंकड़े प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत एनडीए सरकार के स्किल इंडिया मिशन के लिए गंभीर चुनौती है जिसका उद्देश्य करीब 2022 तक 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करना है.

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