केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल 2015 जारी की-(30-SEP-2015) C.A

| Wednesday, September 30, 2015
22 सितंबर 2015 को केंद्रयी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने केंद्रयी स्वास्थ्य अन्वेषण ब्यूरो द्वारा तैयार राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल (एनएचपी) 2015 जारी किया. पहली बार एनएचपी का ई–बुक (डिजिटल संस्करण) भी जारी किया गया. यह एनएचपी का 11 वां संस्करण है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल में स्वास्थ्य में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों पर विस्तृत जानकारी समेत जनसांख्यिकीय, सामाजिक– आर्थिक, स्वास्थ्य की स्थिति और स्वास्थय वित्त संकेतकों को शामिल किया गया है.

पहली बार एनएचपी 2015 में ईएसआईसी और रेलवे से लिए गए स्वास्थ्य आंकड़ों को भी शामिल किया गया है. 

एनएचपी 2015 के अनुसार देश में विभिन्न स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देता है जो उत्साहवर्धक है. 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल 2015 की मुख्य विशेषताएं
• भारत में प्रत्येक सरकारी अस्पताल 1833 लोगों के लिए एक बिस्तर (बेड) के साथ अनुमानतः 61000 लोगों के लिए कार्य करता है. 
• अविभाजित आंध्र प्रदेश में, प्रत्येक सरकारी अस्पताल 3 लाख से अधिक मरीजों का इलाज करता है जबकि बिहार में प्रत्येक 8800 लोगों के लिए सिर्फ एक बिस्तर (बेड) उपलब्ध है. 
• प्रत्येक सरकारी एलोपैथि डॉक्टर 11000 से अधिक लोगों का इलाज करता है. बिहार और महाराष्ट्र में अनुपात सबसे खराब है. 
• भारत में एलोपैथी के कुल 9.4 डॉक्टर, 1.54 लाख दंत चिकित्सक और 7.37 आयुष डॉक्टर है. आयुष डॉक्टरों में से आधे से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं.
• भारत के 400 मेडिकल कॉलेज एक अनुमान के अनुसार सालाना 47000 छात्रों का दाखिला करते हैं. 

कैंसर डाटा 
• एनएचपी 2015 के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 तक पुरुषों के बीच कैंसर में 19 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. इसमें मुंह का कैंसर सबसे तेजी से बढ़ेगा और महिलाओं में 23 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और उनमें सबसे तेजी से गॉल ब्लैडर कैंसर बढ़ेगा. 
• साल 2020 तक पुरुषों में कैंसर वर्तमान के 522164 से बढ़कर 622203 हो जाएगा. 
• गुटका पर देशव्यापी प्रतिबंध के बावजूद मुंह के कैंसर में 51 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी. 
• प्रोस्टेट कैंसर में 48 फीसदी, लीवर के कैंसर में 31 फीसदी और फेफड़ों के कैंसर में 22 फीसदी की वृद्धि हुई है. 

एनएचपी 2015 के अनुसार भारत में संचारी रोगों का प्रसार 
• भारत में ज्यादातर संचारी रोगों से होने वाली मौतों में तेजी से गिरावट आ रही है. दस लाख मामलों के दर्ज किए जाने के बावजूद मलेरिया से होने वाली मौतों की आधिकारिक संख्या घटकर 500 सालाना रह गई है. 
• साल 2014 में मलेरिया का हर तीसरा मरीज ओडीशा का था. 
• साल 2010 के बाद से चिकनगुनिया के मामलों की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई है, लेकिन सभी मामलों का आधा महाराष्ट्र में पाया गया. 
• साल 2014 में डेंगु के सिर्फ 40000 से कुछ अधिक मामलों और 131 मौतों की आधिकारिक तौर पर रिपोर्ट की गई.
• जबकि तीव्र अतिसारीय रोग की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है. साल 2014 में यह 1.16 करोड़ थी, इस रोग से होने वाली मौतों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है. 
• हालांकि, 2014 में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामलों और उससे होने वाली मौतों में बहुत अधिक बढ़ोतरी देखी गई. यह बीमारी उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल में फैली थी. 
• पिछले वर्ष जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रकोप असम और उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से रहा.
• फेफड़ों का क्षयरोग भारत का सबसे बड़ा संचारी रोग बना हुआ है और 2014 में इस बीमारी से 63000 से भी अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई. 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के बारे में
• साल 2005 में शुरु होने के बाद से सीबीएचआई द्वारा हर वर्ष राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल जारी किया जाता है. 
• यह हमारे लक्ष्यों, खूबियों और खामियों को समझने में मदद करता है और यह रणनीति बनाने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है. अच्छा संकलित आंकड़ा नीतिनिर्माताओं को सबूत– आधारित नीतियां बनाने में सक्षम बनाता है. 
• आंकड़े देश के स्वास्थ्य संकेतकों को समझने के लिए ही सिर्फ महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि ये स्थिति की निगरानी का अवसर भी मुहैया कराते हैं. 
• यह 6 संकेतकों – जनसांख्यिकीय, सामाजिक– आर्थिक, स्वास्थ्य वित्त और स्वास्थ्य स्थिति संकेतकों, स्वास्थ्य संरचनात्मक ढांचे पर व्यापक सूचना और भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन , के तहत पर्याप्त स्वास्थ्य जानकारी पर प्रकाश डालता है.

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