भारत-अमेरिका द्वारा पहली सामरिक और वाणिज्यिक वार्ता पर संयुक्त वक्तव्य जारी-(25-SEP-2015) C.A

| Friday, September 25, 2015
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एवं अमेरिकी सेक्रेटेरी ऑफ़ स्टेट जॉन केरी ने 22 सितंबर 2015 को प्रथम भारत-अमेरिका सामरिक और वाणिज्यिक वार्ता पर सामूहिक वक्तव्य जारी किया.

इसे संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित वाशिंगटन में इस विषय पर पहली बार हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी किया गया. इस वार्ता में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण एवं अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ़ कॉमर्स पैनी प्रिस्कर मौजूद थे.

इस वार्ता का उद्देश्य द्विपक्षीय आर्थिक एक्सचेंज को 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना तथा क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करना था.

वाणिज्य क्षेत्र में वर्ष 2010 से प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली वार्ता में पहली बार द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता को स्थान प्रदान किया गया.
वार्ता के मुख्य बिंदु

भारत के विदेश सचिव और अमेरिकी विदेश उप सचिव के मध्य क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर उच्च स्तरीय वार्ता का शुभारंभ.

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह सहित चार प्रमुख बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता के लिए अमेरिका द्वारा समर्थन.

इंटरनेट गवर्नेंस में भारत की प्रभावी भूमिका सुनिश्चित करना. इंटरनेट एवं साइबर मुद्दों पर बेहतर तालमेल स्थापित करना.

आतंकवाद से निपटने हेतु बेहतर तालमेल स्थापित करना. आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए द्विपक्षीय संबंध तथा सयुंक्त कार्यप्रणाली स्थापित करना.

जलवायु परिवर्तन पर पेरिस सम्मेलन पर बेहतर तालमेल स्थापित करना.

अन्तरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय लॉन्चिंग वाहनों द्वारा अमेरिकी अन्तरिक्ष यान भेजने के विषय पर कार्य करना.

दोनों पक्षों ने महासागर वार्ता आरंभ करने का भी निर्णय लिया ताकि महासागरों के सतत विकास पर भी उचित ध्यान दिया जा सके.

दोनों देशों ने सचिव स्तर की वार्ता को जापान के मंत्री स्तर के साथ त्रि-पक्षीय स्तर पर ले जाने का भी निर्णय लिया. परिणामस्वरूप, सयुंक्त राष्ट्र की आम सभा की बैठक के दौरान केरी एवं स्वराज जापानी मंत्री के साथ सितंबर 2015 के अंतिम सप्ताह में न्यूयॉर्क में बैठक करेंगे. 

टिप्पणी
वाणिज्य एवं सामरिक मुद्दों पर आयोजित इस प्रथम बैठक से दोनों देशों के संबंधों में प्रगाढ़ता मिलती है.

वर्ष 1990 में दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जो वर्ष 2014 में बढ़कर 66.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया. 24 वर्ष के अन्तराल में इसमें 1094.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी.

इसके अतिरिक्त दोनों ही देश, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान क्षेत्र से समान आतंकी खतरों से जूझ रहे हैं.

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