चांगे-5 : चीन की एकमात्र चन्द्रमा से वापसी सैंपल अभियान है जो कि अभी विकास के दौर में है और इस पर कार्य जारी है.
पिछले दिनों 21 सितम्बर 2015 को यह अभियान तब सुर्ख़ियों में आया जब चीन ने 'मार्च-5 ' राकेट का जिसे लेकर चाँद पर जाने वाला है तिआंजिन बंदरगाह पर रिहर्सल किया.
प्रक्षेपण स्थल होने वाला यह यह पहला अभ्यास सत्र था . इसके तहत मिशन पर जाने वाले वाले राकेट के आलावा इसकी जांच पर भी फोकस किया गया .
स्वचालित सैंपलिंग को सम्पन करने वाला चांगे-5 चीन की प्रथम तकनीक है.इसके तहत एक मानव रहित यान चन्द्रमा के सतह से करीब 400000 किलोमीटर पर पहुंचेगा और बिना किसी लांच साइट के चन्द्रमा के सतह के ऊपर रहेगा.
चांगे-5 के बारे में
यह चीन का चन्द्रमा से एकमात्र सैंपल वापसी मिशन है.
चीन का चन्द्रमा की देवी 'चांगे' के नाम पर इस मिशन का नाम रखा गया है.
इसे सैंपल वापसी मिशन कहा गया है क्योंकि यह चन्द्रमा के सतह से कम से कम 2 किलोग्राम वहां की मिटटी और चट्टान के नमूने के साथ धरती पर लौटेगा.
यह अभियान अभी विकास के दौर में है और संभवतः 2017 में चन्द्रमा की धरती पर उतरेगा.
यह लम्बे मार्च-5 राकेट से युक्त होगा जो कि इसे लांच करेगा.
" मार्च-5 " का पहला ट्रायल उड़ान 2016 में किये जाने की उम्मीद है.
यह राकेट करीब 14 टन वजन के पेलोड को जीओस्टेशनरी कक्षा में पहुंचाएगा.
चीन का चन्द्रमा की देवी 'चांगे' के नाम पर इस मिशन का नाम रखा गया है.
इसे सैंपल वापसी मिशन कहा गया है क्योंकि यह चन्द्रमा के सतह से कम से कम 2 किलोग्राम वहां की मिटटी और चट्टान के नमूने के साथ धरती पर लौटेगा.
यह अभियान अभी विकास के दौर में है और संभवतः 2017 में चन्द्रमा की धरती पर उतरेगा.
यह लम्बे मार्च-5 राकेट से युक्त होगा जो कि इसे लांच करेगा.
" मार्च-5 " का पहला ट्रायल उड़ान 2016 में किये जाने की उम्मीद है.
यह राकेट करीब 14 टन वजन के पेलोड को जीओस्टेशनरी कक्षा में पहुंचाएगा.
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