साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेषज्ञ समूह ने 15 सितंबर 2015 को गृह मंत्रालय (एमएचए) को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘प्रभावी ढंग से देश में साइबर अपराध से निपटने के लिए रोडमैप’ था. यह रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के अध्ययन के बाद तैयार की गई.
रिपोर्ट में विशेषज्ञ समूह ‘आई 4 सी’ की स्थापना की अनुशंसा की. आई 4 सी का तात्पर्य है‘इन्डियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर’ से है.
इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘प्रभावी ढंग से देश में साइबर अपराध से निपटने के लिए रोडमैप’ था. यह रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के अध्ययन के बाद तैयार की गई.
रिपोर्ट में विशेषज्ञ समूह ‘आई 4 सी’ की स्थापना की अनुशंसा की. आई 4 सी का तात्पर्य है‘इन्डियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर’ से है.
इन्डियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर के बारे में
• यह केंद्र साइबर अपराधों की निगरानी और विश्लेषण करेगा इसके अतिरिक्त यह केंद्र साइबर अपराधों की ऑनलाइन रिपोर्टिंग के प्रति समर्पित रहेगा.
• आई 4 सी साइबर अपराधों का रियल टाईम विश्लेषण करेगा और यह अपराध के मूल स्थान का भी विश्लेषण करने में सक्षम होगा.
• इसके तहत भारत, फेसबुक और गूगल जैसे कम्पनियों के साथ मिल कर कार्य करेगा. यह कम्पनियां पहले से ही चाइल्ड प्रोनोग्रफी और फेक आईडी जैसे अपराधों से निपटने में सक्षम है.
• इस केंद्र की कई शाखाएँ राज्य और संघ शासित केन्द्रों में भी होंगी.
• यह केंद्र समय समय पर नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड और क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम से को-ओर्डीनेट करेगा.
• यह केंद्र गृह मंत्रालय के आधीन कार्य करेगा. इसकी स्थापना की अनुमानित लागत 500 करोड़ रुपए है.
विशेषज्ञ समिति के बारे में
• यह पांच सदस्यीय समिति गृह मंत्रालय द्वारा 24 दिसम्बर 2014 को स्थापित की गई थी.
• तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू साइबर अपराधों से संरक्षित करने के लिए इस समिति का गठन अनिवार्य था.
• पिछले 2 से 3 वर्षों में साइबर अपराधों 40प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है.
• यह केंद्र साइबर अपराधों की निगरानी और विश्लेषण करेगा इसके अतिरिक्त यह केंद्र साइबर अपराधों की ऑनलाइन रिपोर्टिंग के प्रति समर्पित रहेगा.
• आई 4 सी साइबर अपराधों का रियल टाईम विश्लेषण करेगा और यह अपराध के मूल स्थान का भी विश्लेषण करने में सक्षम होगा.
• इसके तहत भारत, फेसबुक और गूगल जैसे कम्पनियों के साथ मिल कर कार्य करेगा. यह कम्पनियां पहले से ही चाइल्ड प्रोनोग्रफी और फेक आईडी जैसे अपराधों से निपटने में सक्षम है.
• इस केंद्र की कई शाखाएँ राज्य और संघ शासित केन्द्रों में भी होंगी.
• यह केंद्र समय समय पर नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड और क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम से को-ओर्डीनेट करेगा.
• यह केंद्र गृह मंत्रालय के आधीन कार्य करेगा. इसकी स्थापना की अनुमानित लागत 500 करोड़ रुपए है.
विशेषज्ञ समिति के बारे में
• यह पांच सदस्यीय समिति गृह मंत्रालय द्वारा 24 दिसम्बर 2014 को स्थापित की गई थी.
• तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू साइबर अपराधों से संरक्षित करने के लिए इस समिति का गठन अनिवार्य था.
• पिछले 2 से 3 वर्षों में साइबर अपराधों 40प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है.
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