दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 सितंबर 2015 को संविधान के अनुच्छेद 370 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सुनने के लिए स्वीकृति प्रदान की है. विदित हो संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है.
यह जनहित याचिका 22 वर्षीय महिला कुमारी विजयलक्ष्मी झा द्वारा दायर की गई थी. यह याचिका मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ द्वारा स्वीकृत कर ली गई है.
इस याचिका की सुनवाई 19 अक्टूबर 2015 को दिल्ली उच्च न्यायालय में की जाएगी .
यह जनहित याचिका 22 वर्षीय महिला कुमारी विजयलक्ष्मी झा द्वारा दायर की गई थी. यह याचिका मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ द्वारा स्वीकृत कर ली गई है.
इस याचिका की सुनवाई 19 अक्टूबर 2015 को दिल्ली उच्च न्यायालय में की जाएगी .
कुमारी विजयलक्ष्मी झा के वकील का कहना है की जम्मू कश्मीर को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए अनुच्छेद 370 का अस्थाई रूप से प्रावधान किया गया था. इसका उद्देश्य जम्मू कश्मीर में विधान सभा के निर्माण तक था. वर्ष 1957 में जम्मू कश्मीर में विधान सभा का निर्माण हो गया और इस तरह से अनुच्छेद 370 के तहत किया गया प्रावधान स्वयं ही खत्म हो जाता है.
याचिकाकर्ता के अनुसार जम्मू-कश्मीर के संविधान को भारत की संसद या राष्ट्रपति की स्वीकृति या अनुमोदन अब तक प्राप्त नहीं हुआ है.
वर्ष 2015 के जुलाई माह में संविधान के अनुच्छेद 370 पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का यह निर्णय आया था की इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता. इसके अतिरिक्त वर्ष 2014 के जुलाई माह में सर्वोच्च न्यायालय ने इस अनुच्छेद कोप चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कार दिया था और सम्बंधित याचिका को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में लाने का निर्देश दिया था.
याचिकाकर्ता के अनुसार जम्मू-कश्मीर के संविधान को भारत की संसद या राष्ट्रपति की स्वीकृति या अनुमोदन अब तक प्राप्त नहीं हुआ है.
वर्ष 2015 के जुलाई माह में संविधान के अनुच्छेद 370 पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का यह निर्णय आया था की इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता. इसके अतिरिक्त वर्ष 2014 के जुलाई माह में सर्वोच्च न्यायालय ने इस अनुच्छेद कोप चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कार दिया था और सम्बंधित याचिका को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में लाने का निर्देश दिया था.
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