राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति 2015-2020 का 30 दिसंबर 2015 को नई दिल्ली में केन्द्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री, डॉ हर्षवर्धन द्वारा शुभारंभ किया गया. इस रणनीति का उद्देश्य भारत को एक विश्व स्तरीय जैव-विनिर्माण केन्द्र के रूप में स्थापित करना है.
इसमें नए जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण, अनुसंधान एवं विकास और व्यावसायीकरण के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा बनाना तथा भारत के मानव संसाधनों को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण निवेश के साथ प्रमुख मिशन की शुरूआत की जाएगी.
इसमें नए जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण, अनुसंधान एवं विकास और व्यावसायीकरण के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा बनाना तथा भारत के मानव संसाधनों को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण निवेश के साथ प्रमुख मिशन की शुरूआत की जाएगी.
राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति 2015-2020
• मानवता की भलाई के लिए ज्ञान और साधनों का उपयोग करने को बढ़ावा देना.
• नए जैव-प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण निवेश के साथ एक प्रमुख और सुव्यवस्थित मिशन की शुरूआत करना.
• भारत के बेमिसाल मानव संसाधनों को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना.
• अनुसंधान एवं विकास और व्यवसायीकरण के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करना.
• भारत को एक विश्व स्तर के जैव विनिर्माण केन्द्र के रूप में स्थापित करना.
रणनीति के महत्वपूर्ण तत्व
• कुशल कार्यबल और नेतृत्व की स्थापना करना.
• बढ़ती हुई जैव अर्थव्यवस्था के अनुरूप ज्ञान के वातावरण को सशक्त बनाना.
• बुनियादी, विषयी, अंतर-विषयी विज्ञानों में अनुसंधान के अवसरों को बढ़ावा देना.
• उपयोग से प्रोत्साहित खोज अनुसंधान को प्रोत्साहन देना. सग्रग विकास के लिए जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करना.
• नवाचार, ट्रांसनेशनल क्षमता और उद्यमशीलता को पोषित करना.
• एक पारदर्शी, कुशल और विश्व स्तरीय रूप से सर्वश्रेष्ठ नियामक प्रणाली और संचारण रणनीति को सुनिश्चित करना.
• जैव-प्रौद्योगिकी सहयोग- वैश्विक और राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना. पुनः तैयार किए गए प्रारूपों से युक्त संस्थागत क्षमता को मजबूत करना।
• मानवता की भलाई के लिए ज्ञान और साधनों का उपयोग करने को बढ़ावा देना.
• नए जैव-प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण निवेश के साथ एक प्रमुख और सुव्यवस्थित मिशन की शुरूआत करना.
• भारत के बेमिसाल मानव संसाधनों को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना.
• अनुसंधान एवं विकास और व्यवसायीकरण के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करना.
• भारत को एक विश्व स्तर के जैव विनिर्माण केन्द्र के रूप में स्थापित करना.
रणनीति के महत्वपूर्ण तत्व
• कुशल कार्यबल और नेतृत्व की स्थापना करना.
• बढ़ती हुई जैव अर्थव्यवस्था के अनुरूप ज्ञान के वातावरण को सशक्त बनाना.
• बुनियादी, विषयी, अंतर-विषयी विज्ञानों में अनुसंधान के अवसरों को बढ़ावा देना.
• उपयोग से प्रोत्साहित खोज अनुसंधान को प्रोत्साहन देना. सग्रग विकास के लिए जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करना.
• नवाचार, ट्रांसनेशनल क्षमता और उद्यमशीलता को पोषित करना.
• एक पारदर्शी, कुशल और विश्व स्तरीय रूप से सर्वश्रेष्ठ नियामक प्रणाली और संचारण रणनीति को सुनिश्चित करना.
• जैव-प्रौद्योगिकी सहयोग- वैश्विक और राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना. पुनः तैयार किए गए प्रारूपों से युक्त संस्थागत क्षमता को मजबूत करना।
रणनीति के लक्ष्य
• वर्ष 2025 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर अर्जित करने की चुनौतियों को पूरा करने के लिए भारत को तैयार करना.
• हेल्थकेयर, खाद्य एवं पोषण, स्वच्छ ऊर्जा और शिक्षा नामक चार प्रमुख मिशनों का शुभारंभ करना.
• वैश्विक भागीदारी से पूरे देश में प्रौद्योगिकी विकास और ट्रांसनेशन नेटवर्क की स्थापना करना - 5 नए समूहों, 40 जैव-प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेटरों, 150 टीटीओ, 20 बायो-कनेक्ट केन्द्रों की स्थापना करना.
• जीवन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी शिक्षा परिषद की स्थापना करके मानवीय पूंजी का निर्माण करने में रणनीतिक और केंद्रित निवेश को बढ़ावा देना.
• वर्ष 2025 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर अर्जित करने की चुनौतियों को पूरा करने के लिए भारत को तैयार करना.
• हेल्थकेयर, खाद्य एवं पोषण, स्वच्छ ऊर्जा और शिक्षा नामक चार प्रमुख मिशनों का शुभारंभ करना.
• वैश्विक भागीदारी से पूरे देश में प्रौद्योगिकी विकास और ट्रांसनेशन नेटवर्क की स्थापना करना - 5 नए समूहों, 40 जैव-प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेटरों, 150 टीटीओ, 20 बायो-कनेक्ट केन्द्रों की स्थापना करना.
• जीवन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी शिक्षा परिषद की स्थापना करके मानवीय पूंजी का निर्माण करने में रणनीतिक और केंद्रित निवेश को बढ़ावा देना.
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