वर्ष 2015 पृथ्वी का सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया-(27-JAN-2016) C.A

| Wednesday, January 27, 2016
वर्ष 1880 से दर्ज किये जा रहे पृथ्वी के तापमान में वर्ष 2015 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया.

इसकी जानकारी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) एवं नेशनल ओशयनिक एंड एटमोसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने 20 जनवरी 2016 को जारी की.

वर्ष 2015 के जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी मुख्य बिंदु

•    वर्ष 2015 में वैश्विक धरातल एवं सामुद्रिक तापमान अनुमानतः 1.62 डिग्री फारेनहाइट (0.90 डिग्री सेल्सियस) अधिक रहा.
•    पिछले 136 वर्षों में यह सबसे गर्म वर्ष रहा है. 1850 के बाद 2014 को सबसे गर्म साल के रूप में देखा जा रहा था लेकिन अब 2015 इससे आगे निकल गया है.
•    2015 में वार्षिक वैश्विक तापमान का अंतर भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी बढ़ा है.
•    10 महीनों में दर्ज किया गया तापमान पिछले वर्ष में सबसे अधिक गर्म रहा.  
•    तापमान में यह बढ़ोतरी मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप पश्चिमी एशिया, साइबेरिया, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के क्षेत्रों, भूमध्यरेखीय प्रशांत, पश्चिमी उत्तर अटलांटिक तथा हिन्द महासागर क्षेत्रों में दर्ज की गयी.
•    20 वीं सदी में 2015 का औसतन समुद्र तापमान 1.33 डिग्री फारेनहाइट (0.74 डिग्री सेल्सियस) था.
•    एनओएए द्वारा जारी आंकड़ों का रटगर्स नेटवर्किंग हिमपात लैब द्वारा विश्लेषण किया गया जिसके अनुसार 2015 के दौरान उत्तरी गोलार्ध में बर्फ कवर 95 लाख वर्ग मील बढ़ा है.
•    यह पाया गया कि पिछले 11 सालों में से पृथ्वीे के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. इसको लेकर नासा का मानना है कि वायुमंडल में छोड़े जाने वाली जहरीली गैसों की वजह से यह हालात बने हैं.
•    1800 से 1900 के दौर में तापमान 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की तेजी से बढ़ा यदि यही स्थिति रही तो 21वीं सदी में तापमान 3-4 डिग्री बढ़ जाएगा.
•    इस वर्ष वैश्विक सतह तापमान भी 14 डिग्री सेल्सियस के 1961-1990 के औसत से करीब 0.75 डिग्री सेल्सियस ऊपर है.
दिसंबर 2015 में जलवायु परिवर्तन संबंधित आंकड़े

•    इस दौरान वैश्विक सतह तापमान में 2 डिग्री बढ़त दर्ज की गयी.
•    1880 से 2015 तक रिकॉर्ड किये गये तापमान में यह सबसे अधिक गर्म वर्ष रहा, इससे पहले वर्ष 2014 में 0.52 फारेनहाइट (0.29 सेल्सियस) की वृद्धि दर्ज की गयी थी.
•    दिसंबर माह में तापमान में बढ़ोतरी भी पहली बार दर्ज की गयी. इसमें पहली बार दिसंबर महीने में ही 2 डिग्री फारेनहाइट की बढ़ोतरी देखी गयी.
•    अमेरिका में वर्ष 1985 को अंतिम सबसे ठंडे वर्ष के रूप देखा गया था. फरवरी 1985 बाकी महीनों की तुलना में सबसे ठंडा रिकार्ड किया गया था.
•    उत्तरी गोलार्द्ध में पहली बार 50 वर्ष के समयांतराल में इतनी कम बर्फ देखी गयी.

टिप्पणी

जलवायु परिवर्तन पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है. पृथ्वी का औसतन तापमान लगभग 1.8 डिग्री फारेनहाइट (1 डिग्री सेल्सियस) बढ़ा है. इसका मुख्य कारण कार्बन उत्सर्जित गैसों का वातावरण में छोड़ा जाना है.

वर्ष 2001 से अब तक 15 एवं 16 सबसे अधिक गर्म वर्ष रहे. वर्ष 2014 में पहली बार वैश्विक तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया था.

अल नीनो अथवा ला नीना, जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर को  गर्म अथवा ठंडा रखने में सहायता करते हैं, वैश्विक औसत तापमान में अल्पकालिक बदलाव के लिए भी योगदान कर सकते हैं. वर्ष 2015 से अल नीनो का गर्म दबाव बढ़ा है.

यह लगातार दूसरा वर्ष है जहां तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गयी लेकिन उपयोगी बात यह भी रही कि अल नीनो के पश्चात् भी इसमें बढ़ोतरी हुई है.

उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए विश्व के सभी नीति निर्माताओं को संगठित होना चाहिए एवं इस समस्या से निपटने के लिए उचित कदम उठाये जाने चाहिए.

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