27 जनवरी 2016 को 31 देशों ने मल्टीलेटरल कम्पीटेंट अथॉरिटी एग्रीमेंट (एमसीएए) पर हस्ताक्षर किया. इन देशों ने यह कदम देश– दर– देश कर प्रशासकों द्वारा दी जाने वाली रिपोर्टों के स्वतः आदन–प्रदान द्वारा बहुराष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई) के कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए उठाया है.
समझौते पर हस्ताक्षर को ओईसीडी/ जी20 बेस इरोशन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) परियोजना के कार्यान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है.
मल्टीलेटरल कम्पीटेंट अथॉरिटी एग्रीमेंट (एमसीएए) की विशेषताएं-
मल्टीलेटरल कम्पीटेंट अथॉरिटी एग्रीमेंट (एमसीएए) की विशेषताएं-
- इस मल्टीलेटरल समझौते के तहत, कर प्रशासकों के बीच सूचना का आदान– प्रदान किया जाएगा. उन्हें बहुराष्ट्रीय व्यापारों के प्रमुख संकेतकों पर एकल, वैश्विक तस्वीर देगा.
- यह आमदनी के वैश्विक आवंटन और भुगतान किए गए कर से संबंधित है, इससे एमएनई समूह के भीतर आर्थिक गतिविधि के स्थान के अन्य संकेतकों के साथ देश– दर–देश रिपोर्टिंग के साथ कर प्रशासकों को सालाना समग्र सूचना मिलेगी.
- यह बेस इरोशन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) एक्शन प्लान के एक्शन 13 के तहत विकसित न्यू ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड के सतत और तेजी से कार्यान्वयन को सक्षम करेगा.
- हस्ताक्षर करने वाले 31 देश, कर मामलों में आपसी प्रशासनिक सहायता पर हुए सम्मेलन में या जिन्होंने इस पर हस्ताक्षर करने की इच्छा जाहिर की, कवर की गईं पार्टियां या प्रदेश हैं.
हस्ताक्षर करने वाले देश हैं– ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, कोस्टा रिका, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, इस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, जापान, लिंकटेंस्टीन, लक्समबर्ग, मलेशिया, मैक्सिको, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाक रिपब्लिक, स्लोवेनिया, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और यूनाइटेड किंग्डम.
ओईसीडी/ जी20 बेस इरोशन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) प्रोजेक्ट के बारे में-
ओईसीडी/ जी20 बेस इरोशन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (बीईपीएस) प्रोजेक्ट के बारे में-
- परियोजना उन कर नियोजन रणनीतियों को संदर्भित करता है जो कर नियमों के अंतर का फायदा उठा कर बहुत कम या नगण्य आर्थिक गतिविधियों वाले स्थानों पर कम या नगण्य कर वाले स्थानों पर लाभ को कृत्रिम रूप से शिफ्ट कर देते हैं, जिसकी वजह से बहुत कम या समग्र कॉरपोरेट कर का कोई भुगतान नहीं किया जाता.
- इसमें अंतरराष्ट्रीय कर रूपरेखा में सुधार और जहां आर्थिक गतिविधियां हो रहीं हैं और मूल्य तैयार हो रहा है वहीं लाभ को सुनिश्चित करने के लिए 15 मुख्य कार्रवाई निर्धारित की गई है.
- इसे आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) और जी20 ने मिलकर विकसित किया था, ताकि अंतरराष्ट्रीय कर नियमों के आधुनिकीकरण के लिए सरकारों को समाधान के साथ प्रदान किया जा सके.
- यह परियोजना इसलिए भी महत्व रखती है कि अनुमानों से संकेत मिलते हैं कि वैसी कहीं भी जगह जहां वैश्विक कॉरपोरेट आयकर (सीआईटी) राजस्व का 4 से 10 फीसदी वार्षिक घाटे की वजह बीईपीएस समस्या है, उसका मतलब है वहां 100 से 240 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान.
- भारत ने 1 अप्रैल 2016 से बीईपीएस दिशानिर्देशों को लागू करने का फैसला किया है
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