बेहद शर्मिlला माना जाना वाले स्नो लेपर्ड या हिम तेंदुआ 27 जनवरी 2016 को सिक्किम में पहली बार याक चरवाहों ने कैमरे में कैद किया गया. उत्तरी सिक्किम इलाके में ही स्नो लेपर्ड्स पाए जाते है. इसकी मौजूदगी डॉकपास के रूप में जानी जाती थी.
- स्नो लेपर्ड्स बिग कैट परिवार के चार बड़े सदस्यों में गिन जाते हैं.
- ये हिमालय पर उंचाई पर पाए जाते हैं.
- बेहद नर्म फरों की वजह से इनका अवैध शिकार किया जाता रहा है.
- जिसकी वजह से इनका अस्तित्व ही खतरे में हैं.
- इनकी मौजूदगी को लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ- इंडिया के पास ये पहले सबूत हैं.
- उत्तराखंड में भी हिम तेंदुए की मौजूदगी के प्रमाण हैं. अब तक चार तेंदुए कैमरों में कैद हो चुके हैं.
- 29 जून 2015 को कुमाऊं के सुंदरढुंगा ग्लेशियर के पास 4100 मीटर की ऊंचाई पर एक हिम तेंदुए की तस्वीर खींची गई थ
हिम तेंदुए के बारे में-
- आमतौर पर 'पहाड़ों की भूत' के रूप में जाना जाता है.
- यह प्रजाति उच्च ऊंचाई के निर्विवाद सम्राट है.
- हिम तेंदुआ, उच्च ऊंचाई का एक प्रमुख प्रजाति, भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत एक अनुसूची का जानवर है.
- आईयूसीएन की रेड लिस्ट में यह संकटग्रस्त प्रजातियों यानि लुप्त प्राय पशु के रूप में सूचीबद्ध है.
- पांडुलिपे हिम तेंदुआ इसका वैज्ञानिक नाम अनिसया अनिसया या पेन्थेरा है.
- यह हिमाचल प्रदेश का राज्य पशु है.
- पूरी दुनिया में 7000 तक हिम तेंदुए हैं.
- इनमे से 600 से 700 तक चिड़ियाघरों और अभ्यारण्यों में हैं.
- हिम तेंदुओं की 60 फीसदी से अधिक आबादी मध्य एशिया में है.
- हिम तेन्दुए लगभग 1.4 मीटर लम्बे होते हैं.
- इनकी पूँछ 90- 100 सेमी तक होती है.
- इनका भार 75 किलो तक हो सकता है.
- इनकी खाल पर सलेटी और सफ़ेद फ़र होता है. गहरे लाल रंग के धब्बे होते हैं और पूँछ पर धारियाँ बनीं होती हैं.
- इनका फर बहुत लम्बा और मोटा होता है जो इन्हे ऊँचे ठण्डे स्थानो पर भीषण सर्दी से बचा कर रखता है.
- इन तेन्दुओं के पैर भी बड़े और ऊनी होते हैं, ताकि हिम में चलना सहज हो सके.
- ये लगभग १५ मीटर की ऊँचाई तक उछल सकते हैं.
- ये बिल्ली-परिवार की एकमात्र प्रजाति है जो दहाड़ सकती है लेकिन घुरघुरा (बिल्ली के जैसी आवाज़ निकालना) नहीं सकती.
- हिम तेन्दुए अधिकांशतः रात्री में सक्रिय होते हैं.
- ये अकेले रहने वाले जीव हैं. लगभग 90- 100 दिनों के गर्भाधान के बाद मादा 2-3 शावकों को जन्म देती है.
- उत्तराखंड में इनकी संख्या 55 से 80 तक है.
हिम तेंदुए की सुरक्षा -
- भारत में इसे ए श्रेणी के संरक्षित वन्यजीव का दर्जा दिया गया है.
- भारत सरकार ने हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जनवरी 2009 में प्रोजेक्ट लेपर्ड शुरू किया.
- प्रोजेक्ट लेपर्ड का मानीटरिंग का पहला चरण लगभग पूरा हो गया है.
- एशिया के ऊंचे पहाड़ों में परियोजना संरक्षण और अनुकूलन के तहत 2015 में इसे सिक्किम में शुरू किया.
- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणांचल, सिक्किम में इसे लागू किया गया है.
- परियोजना का उद्देश्य जलवायु के साथ हिम तेंदुआ संरक्षण योजना का विकास करना है.
- हिम तेंदुए परियोजना का बड़ा हिस्सा छह एशियाई सीमावर्ती देशों में यूएसए द्वारा वित्त पोषित है.
- हिम तेंदुए की सुरक्षा को लेकर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया 2006 के बाद से काम कर रहा है.
क्या हिम तेंदुए दुर्लभ हो रहे है?
- समुदायों के साथ पर्यावास हानि, अवैध शिकार और बढ़ती संघर्ष के कारण यह प्रजाति पिछले 16 साल से गायब होती जा रही है.
- जलवायु परिवर्तन अब भी इस प्रजाति के लिए अधिक से अधिक जोखिम बना हुआ है.
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