आयकर अधिनियम 1961 को आसान बनाने के लिए आर.वी. ईश्वर समिति की रिपोर्ट जारी-(20-JAN-2016) C.A

| Wednesday, January 20, 2016
इनकम टैक्स के नियमों को सरल बनाने के लिए सेवा निवृत आर वी ईश्वर समिति की रिपोर्ट 18 जनवरी 2016 को वित्त मंत्रालय ने जारी कर दी है. रिपोर्ट में समिति ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 में बदलाव कर 6 महीने के भीतर टैक्स रिफंड करने का सुझाव दिया है. रिफंड भुगतान में देर होने पर 12-18 फीसदी ब्याज देने की भी सिफारिश की है. समिति ने 78 पन्‍नों की रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंपी थी.
दस सदस्यीय समिति ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 में 27 बिदुओं पर बदलाव के और आठ बिन्दुओं पर पुन: विचार करने के सुझाव दिए हैं. 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु-
टैक्स विवादों का तेजी से निस्तारण किया जाए-
समिति के मुताबिक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के 6 महीने के दौरान ही रिफंड कर दिया जाना चाहिए.
आईटी एक्ट की धारा-
  • इनकम टैक्स एक्ट की धारा 143 (आईडी) के मुताबिक ऐसा जरूरी नहीं है कि स्क्रूटनी नोटिस जारी होने के बाद रिटर्न की प्रक्रिया शुरू ही कर दी जाए.
  • सेक्शन 255(3) में संशोधन का सुझाव देते हुए समिति ने कहा है कि एक सदस्यीय समिति को निपटारे के लिए 15 लाख एक से बढ़कर सीमा करोड़ तक की जाए.
  • सेक्शन 254(3) में संशोधन का सुझाव देते हुए समिति ने कहा है कि ऐसे मामलों मे समय सीमा चार साल से कम करके 120 दिन की जाए.
  • धारा 281बी के तहत बैंक गारंटी प्रस्तुत करने पर संपत्ति रिलीज करने का सुझाव दिया है.
व्यापार करने के लिए नियमों का सरलीकरण और साधारण प्रक्रिया-
समिति का कहना है कि व्यक्तिगत लोगों तथा हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए टीडीएस दर को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत पर लाया जाना चाहिए. 
समिति का सुझाव है कि नियम 30 और 31 अवधि और टीडीएस भुगतान का तरीका और टीडीएस सेक्शन 200 के तहत भरा जाना चाहिए.
अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर को कम किया जाए: ईश्वर समिति
  • उच्च स्तरीय समिति ने सुझाव दिया कि शेयरों के कारोबार से पांच लाख रूपए से कम की सालाना आय को कारोबारी आय नहीं माना जाए और इस पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर को कम किया जाए.
  • पेशेवरों के लिए अनुमानित आय योजना आरम्भ की जानी चाहिए. जिसके तहत आय प्रकल्पित कर एक अनुमान के अनुसार आय पर कर लगाया जाता है.
  • आय संगणना और प्रकटीकरण मानक (आईसीडीएस) के रिफंड की प्रक्रिया को तेज बनाने के सुझाव दिए हैं.
  • समिति ने गैर निवासियों के लिए और जिनके पास न स्थायी खाता संख्या (पैन) नहीं है, उनके निवास देश में टैक्स पहचान संख्या (टिन) अनुभाग 206एए के तहत एक उच्च दर पर टीडीएस की प्रयोज्यता से छूट देने की सिफारिश की है.
  • वित्त वर्ष के दौरान नया व्यापार शुरू करने पर धारा 234सी में संशोधन कर  राहत प्रदान करने का सुझाव दिया है.
  • ब्याज के साथ समय पर टीडीएस के भुगतान की वापसी और वापसी में देरी के मामले में उच्च ब्याज का भुगतान उपलब्ध कराने के लिए सुझाव दिए हैं.
आयकर आंकलन अधिकारी अपने विवेकानुसार इक्विटी कारोबार आय को कारोबारी आय या अल्पदीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की श्रेणी में रख सकते हैं-
समिति का कहना है कि इक्विटी कारोबार से पांच लाख रूपए से कम आय को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ की श्रेणी में रखने से जहां मुकद्मेबाजी घटाने में मदद मिलेगी तथा ज्यादा से ज्यादा खुदरा धन शेयर बाजारों में आ सकेगा.

टिप्पणी-
आर.वी. ईश्वर समिति आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों/ वाक्यांशों का अध्ययन करने और पहचान करने के लिए 27 अक्टूबर 2015 को गठित की गयी. समिति ने व्यापार करने की प्रक्रिया के सरलीकरण, कर निर्धारण के विवादों का त्वरित निस्तारण, मुकदमेबाजी कम करने के सुझाव दिए हैं.

समिति का गठन सरकार की मंशा के अनुरूप दशकों से लंबित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों कराधान प्रक्रियाओं में अपेक्षित सुधार के लिए किया गया.
आर.वी. ईश्वर समिति ने अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक, 2015, जो राज्यसभा में लंबित है, का उद्देश्य अप्रत्यक्ष कर ढांचे का ओवरहॉल करना है.

ईश्वर समिति टीडीएस घटाने के पक्ष में-

आयकर कानूनों के सरलीकरण पर एक उच्चस्तरीय समिति ने स्रोत पर कर (टीडीएस) की दर घटाने, कटौती सीमा बढ़ाने तथा 'विदहोल्डिंग कर' की दर में कटौती का सुझाव दिया है. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर वी ईश्वर समिति ने अपनी 78 पृष्ठ की रिपोर्ट के मसौदे में कहा है कि देश में करीब 65 प्रतिशत व्यक्तिगत आयकर संग्रहण स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के जरिए होता है. ऐसे में टीडीएस प्रावधानों को अधिक अनुकूल बनाने की जरूरत है. पिछले कुछ साल से प्रावधान जटिल बने हुए हैं. समिति ने इसकी सीमा को बढ़ाने तथा इसको तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया है. समिति ने टीडीएस दरों में कटौती की भी सिफारिश की है.

0 comments:

Post a Comment