बीसीसीआई में भ्रष्टाचार के मामले पर गठित जस्टिस आर एम लोढ़ा समिति ने 4 जनवरी 2016 को अपनी सिफारिश रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी. माना जा रहा है कि जस्टिस लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट में भी बीसीसीआई के संविधान और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं.
विदित हो कि वर्ष 2015 में बीसीसीआई में भ्रष्टाचार के मामले पर जाँच करने हेतु सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आर एम लोढ़ा समिति का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड में काफी बदलाव हुए. अक्टूबर 2015 में बीसीसीआई प्रमुख चुने जाने के बाद शशांक मनोहर ने भी बोर्ड की छवि सुधारने के लिए कई कदम उठाए.
समिति के कुछ अहम सुझाव:
- बीसीसीआई को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाया जाए.
- क्रिकेट को क्रिकेटर ही चलाएं और बीसीसीआई की स्वायतत्ता बनी रहे
- एक राज्य में सिर्फ़ एक ही क्रिकेट संघ हो और सभी को वोट देने का हक़ हो.
- किसी भी बीसीसीआई पदाधिकारी को लगातार दो से अधिक कार्यकाल तक नहीं रहने दिया जाए.
- किसी भी व्यक्ति को तीन से अधिक कार्यकाल के लिए पदाधिकारी न बने रहने दिया जाए.
- बीसीसीआई में एक व्यक्ति, एक पद का नियम लागू हो.
- खिलाड़ियों का एक संघ और संविधान बनाया जाए.
- आईपीएल और बीसीसीआई की अलग-अलग गवर्निंग काउंसिल हो.
- आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को सीमित स्वायत्ता ही प्रदान की जाए.
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