उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ 11 अगस्त 2015 को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) में शिकायत दर्ज की. इस शिकायत में कंपनी से अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गयी.
मैगी मामले में उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 12 (1-डी) के तहत एनसीडीआरसी में नेस्ले इंडिया के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गयी है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने करीब तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून में धारा 12 (1-डी) का पहली बार इस्तेमाल करते हुए नेस्ले इंडिया के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है.
मैगी मामले में उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 12 (1-डी) के तहत एनसीडीआरसी में नेस्ले इंडिया के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गयी है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने करीब तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून में धारा 12 (1-डी) का पहली बार इस्तेमाल करते हुए नेस्ले इंडिया के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है.
विदित हो कि मैगी के नमूनों में सीसे की मात्रा तय सीमा से अधिक पाई गई जिसके बाद 5 जून 2015 को भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने देशभर में मैगी के उत्पादन, भंडारण, विपणन एवं बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था जो अभी तक जारी है.
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