ओणम पर्व केरल में पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया-(29-AUG-2015) C.A

| Saturday, August 29, 2015
ओणम का सबसे शुभ दिन थिरु ओणम (थिरुवोनम) त्योहार केरल में 28 अगस्त 2015 को पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया. यह पर्व प्राचीन राजा महाबली के याद मे मनाया जाता है.
ओणम को मलयाली कैलेण्डर कोलावर्षम के पहले महीने 'छिंगम' यानी अगस्त-सितंबर के बीच मनाने की परंपरा चली आ रही है. ओणम के पहले दिन जिसे अथम कहते हैं, से ही घर-घर में ओणम की तैयारियां प्रारंभ हो जाती है और दस दिन के इस उत्सव का समापन अंतिम दिन जिसे 'थिरुओणम' या 'तिरुओणम' कहते हैं, को होता है. यह ओणम का सबसे महत्वपूर्ण दिन है.
थिरुओणम समारोह महा बाली के स्वागत के लिए फूलों की रंगोली जिसे ओणमपुक्कलम कहते हैं, के बनाने के साथ शुरू होता है. ओणमपुक्कलम विशेष रूप से थिरुओनम के दिन राजा बलि के स्वागत के लिए बनाने की परंपरा है. फूलों की रंगोली को दीये की रोशनी के साथ सजाया जाता है. इस दिन केरल के लोग सबरी माला, गुरुवयूर और थ्रिक्काकरा (महान राजा महा बाली की राजधानी माना जाता है) मंदिरों में पूजा-अर्चना  करते हैं.
ओणम केरल में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है. ओणम में केरल आने वाले सैलानियों और ओणम के भव्य आयोजन को देखते हुए केरल सरकार ने वर्ष 1961 में ओणम को केरल का राजकीय पर्व घोषित किया था. सदियों से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि ओणम के दिन पाताल लोक से राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं, इसी खुशी में मलयाली समाज ओणम मनाता है. इसी के साथ ओणम नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है.
पारंपरिक भोज ओना सद्या ओणम समारोह का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दिन केरल के प्रत्येक जिले में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

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