भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने हेतु संयुक्त वक्तव्य जारी-(19-AUG-2015) C.A

| Wednesday, August 19, 2015
भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात ने 17 अगस्त 2015 को एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया. यह संयुक्त वक्तव्य आबू धाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा महामहिम युवराज मोहम्मद बिन जायद अल नह्यान की मुलाकात के बाद जारी किया गया.

नरेंद्र मोदी पिछले 34 वर्षों में यूएई की यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. उनसे पहले वर्ष 1981 में इंदिरा गांधी ने यूएई का दौरा किया था.

दोनों देशों के नेताओं ने इस ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाते हुए आपसी विकास तथा उत्तरदायित्व को बढ़ाने हेतु 21वीं सदी में सहयोग को और मजबूत करने हेतु विभिन्न मुद्दों पर सहमति दर्ज कराई गयी.

व्यापक सामरिक भागीदारी द्वारा भारत-संयुक्त अरब अमीरात के संबंधों में बढ़ोतरी.

कट्टरता और धर्म के दुरुपयोग करके घृणा फैलाने वाले गुटों तथा आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु संयुक्त प्रयास किये जायेंगे.

आतंकवाद विरोधी आपरेशन, खुफिया जानकारियां साझा करने और क्षमता निर्माण में सहयोग करने हेतु आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु सहयोग को बढाया जायेगा.

संयुक्त राष्ट्र में अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद पर भारत की प्रस्तावित व्यापक अभिसमय योजना पर कार्य करने में संयुक्त रूप से कार्य करना.

कानून प्रवर्तन, काले धन के खिलाफ कड़ी कारवाई,  नशीले पदार्थों की तस्करी, अन्तरराष्ट्रीय अपराध, प्रत्यर्पण की व्यवस्था एवं पुलिस प्रशिक्षण के लिए संयुक्त रूप से कार्य करना.

आतंकवाद, कट्टरता, सामाजिक सदभावना के लिए इंटरनेट के दुरूपयोग पर रोकथाम सहित साइबर सुरक्षा में परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के बीच एक संवाद स्थापित करना जिनकी प्रत्येक 6 माह में मीटिंग होगी. दोनों पक्ष परिचालन सहयोग में सुधार के लिए सुरक्षा एजेंसियों के बीच संपर्क सूत्र का कार्य भी करेंगे.

खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देना.

प्राकृतिक आपदाओं और संघर्ष स्थितियों में मानवीय सहायता और निकासी के लिए सहयोग और आपसी कार्यक्षेत्र को बढ़ावा देना.

रक्षा संबंधों में सुधार हेतु नियमित रूप से नौसेना, वायु, थल सेना और विशेष बलों के प्रशिक्षण द्वारा तटीय रक्षा में सुधार करना. 

संयुक्त अरब अमीरात ने फ़रवरी 2016 में भारत में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में भाग लेने का निर्णय लिया.

भारत में रक्षा उपकरणों के निर्माण में सहयोग.

दक्षिण एशिया, खाड़ी और पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति, सुलह, स्थिरता, समग्रता और व्यापक सहयोग के लिए मिलकर काम करना.

संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयास तथा राष्ट्रों और विवादों के निपटान के बीच संबंधों के संचालन में संप्रभुता और गैर हस्तक्षेप के सिद्धांतों के पालन को बढ़ावा देना.

दोनों सरकारों के बीच एक सामरिक सुरक्षा संवाद स्थापित करना.

संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए निवेश कोष की स्थापना की जाएगी जिसका उद्देश्य भारत में रेलवे, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डों और औद्योगिक गलियारों में 75 बिलियन अमेरिकन डॉलर की स्थापना करना है.
ऊर्जा के क्षेत्र में सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देना, जिसमें यूएई द्वारा देश में पेट्रोलियम भंडार का पता लगाना एवं विकासशील देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना.

दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना जिसमें देशों के स्थान एवं बुनियादी सेवाओं का प्रयोग करना शामिल है तथा अगले पांच वर्षों में व्यापार को 60 प्रतिशत तक बढ़ाना उद्देश्य है.

भारत की छोटे और मध्यम उद्यम उद्योगों में कुशलता को देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात में उद्योगों को बढ़ावा देना.

संयुक्त अरब अमीरात के आधुनिक शैक्षिक संस्थानों एवं भारतीय यूनिवर्सिटीज़ के बीच समन्वय स्थापित करना.

अन्तरिक्ष क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना जिसमे सेटेलाइट विकास, आधारभूत सुविधाओं का निर्माण करना शामिल है. संयुक्त अरब अमीरात ने ऐ ऐन में पश्चिम एशिया का पहला अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है तथा वर्ष 2021 में मंगल ग्रह पर यान भेजने की योजना भी बना चुका है.

परमाणु उर्जा को शांतिपूर्ण कार्यों के लिए प्रयोग करना जैसे सुरक्षा, स्वास्थ्य, कृषि एवं विज्ञान तथा प्रोद्योगिकी.
इसके अलावा दोनों पक्षों ने नियमित शिखर वार्ता को बनाए रखने का संकल्प लिया. जिसमें  उच्च स्तर के संवाद एवं मजबूत व्यापक सामरिक भागीदारी शामिल है.

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