30 सितंबर से 8 अक्टूबर 2015 के मध्य पाकिस्तान के इस्लामाबाद में होने वाले 61 वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन का भारत ने बहिष्कार करने का फैसला किया है. भारत ने यह फैसला 7 अगस्त 2015 को लिया.
सम्मेलन का बहिष्कार करने का निर्णय नई दिल्ली में सर्वसम्मति से लिया गया. अंतिम निर्णय से पहले सभी राज्य विधानसभाओं के वक्ताओं की बैठक बुलाकर विचार विमर्श किया गया.
राज्य विधानसभाओं के वक्ताओं की बैठक पाकिस्तान की कूटनीतिक राजनीति को लेकर बुलायी गयी थी. पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष कविन्द्र गुप्ता को राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन की बैठक में आमंत्रित नहीं किया.
भारत ने पाकिस्तान के इस एकतरफा निर्णय का विरोध किया है और कहा कि जम्मू-कश्मीर के वक्ता को आमंत्रित नहीं करना, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के संविधान का उल्लंघन है और राष्ट्रमंडल के मार्गदर्शक सिद्धांतों के खिलाफ है. इससे राष्ट्रमंडल में अंतरराष्ट्रीय समझ, विश्व शांति और लोकतांत्रिक शासन की गतिविधि प्रभावित होंगी.
अंत में बैठक के बाद लोकसभा सचिवालय से बयान जारी किया गया, जिसमे कहा गया कि सीपीए संविधान के अनुच्छेद 8 के अनुसार प्रत्येक शाखा तदनुसार, प्रत्येक पूर्ण सम्मेलन के लिए प्रतिनिधियों और अधिकारियों की एक निर्धारित संख्या भेजने के लिए हकदार है और इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर शाखा को भी सम्मेलन में अपने प्रतिनिधि भेजने का अधिकार प्राप्त हैं.
सम्मेलन का बहिष्कार करने का निर्णय नई दिल्ली में सर्वसम्मति से लिया गया. अंतिम निर्णय से पहले सभी राज्य विधानसभाओं के वक्ताओं की बैठक बुलाकर विचार विमर्श किया गया.
राज्य विधानसभाओं के वक्ताओं की बैठक पाकिस्तान की कूटनीतिक राजनीति को लेकर बुलायी गयी थी. पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष कविन्द्र गुप्ता को राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन की बैठक में आमंत्रित नहीं किया.
भारत ने पाकिस्तान के इस एकतरफा निर्णय का विरोध किया है और कहा कि जम्मू-कश्मीर के वक्ता को आमंत्रित नहीं करना, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के संविधान का उल्लंघन है और राष्ट्रमंडल के मार्गदर्शक सिद्धांतों के खिलाफ है. इससे राष्ट्रमंडल में अंतरराष्ट्रीय समझ, विश्व शांति और लोकतांत्रिक शासन की गतिविधि प्रभावित होंगी.
अंत में बैठक के बाद लोकसभा सचिवालय से बयान जारी किया गया, जिसमे कहा गया कि सीपीए संविधान के अनुच्छेद 8 के अनुसार प्रत्येक शाखा तदनुसार, प्रत्येक पूर्ण सम्मेलन के लिए प्रतिनिधियों और अधिकारियों की एक निर्धारित संख्या भेजने के लिए हकदार है और इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर शाखा को भी सम्मेलन में अपने प्रतिनिधि भेजने का अधिकार प्राप्त हैं.
इससे पहले मार्च 2007 को इस्लामाबाद में आयोजित एशिया और भारत क्षेत्रीय सीपीए के तीसरे सम्मेलन में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर शाखा को आमंत्रित किया था. इसमें जम्मू-कश्मीर शाखा से सीपीए में तीन प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया था.
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के बारे में
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) का गठन 1911में लंदन में किया गया था.इसकी शाखाएं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूफाउंडलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में थी.
1948 में राष्ट्रमंडल के विकास के साथ इसका नाम बदल कर सीपीए किया गया और नियमावली भी बदल दी गयी. नियमों में बदलाव एसोसिएशन के प्रबंधन में भाग लेने के लिए सभी सदस्य शाखाओं को सशक्त करने के और अपने मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक अलग सचिवालय की स्थापना के लिए किया गया .
1989 में सीपीए ने संरक्षक और उप संरक्षक के संवैधानिक पदों का सृजन किया. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने राष्ट्रमंडल प्रमुख के तौर पर संरक्षक बनने के लिए सहमति दी.सामान्य रूप से उप संरक्षक सम्मेलन की मेजबानी करने वाली शाखा राज्य या सरकार का प्रमुख होता है.
वर्तमान में बांग्लादेश संसद की पहली महिला अध्यक्ष डॉ शिरीन शमीं चौधरी दूसरी बार राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं.
0 comments:
Post a Comment