केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भू-सम्पदा (नियामक और विकास) विधेयक 2013
में संशोधन को मंजूरी प्रदान की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की
अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की नई दिल्ली में 7 अप्रैल
2015 को हुई बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गई.
इस विधेयक का उद्देश्य भू-सम्पदा क्षेत्र में अनियमितताओं और ठगी पर रोक लगाना है. इससे लाखों लोगों को लाभ मिलेगा.
यह विधेयक अभी राज्यसभा में लम्बित है. मंत्रिमंडल ने इसमें संशोधन कर इसे अधिक प्रभावी बनाया है.
इस विधेयक का उद्देश्य भू-सम्पदा क्षेत्र में अनियमितताओं और ठगी पर रोक लगाना है. इससे लाखों लोगों को लाभ मिलेगा.
यह विधेयक अभी राज्यसभा में लम्बित है. मंत्रिमंडल ने इसमें संशोधन कर इसे अधिक प्रभावी बनाया है.
भू-सम्पदा (नियामक और विकास) विधेयक 2013
के उद्देश्य
विधेयक में देशभर के लिए एकसमान नियामक व्यवस्था बनाने और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपाय शामिल किये गए हैं. इसके अलावा इस क्षेत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का भी प्रावधान है.
भू-सम्पदा (नियामक और विकास) विधेयक 2013 के प्रावधान
• जिन परियोजनाओं को अभी पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं मिला है, उन्हें भी इसके तहत लाया गया है. ऐसी परियोजनाओं को तीन महीने के अन्दर नियामक में पंजीकृत कराना होगा.
• इसमें राज्य स्तर पर रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERAs) नामक एक नियामक संस्था स्थापित करने का प्रावधान है.
• प्रस्तावित कानून के तहत अगर परियोजना का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है तो उस भवन निर्माता पर परियोजना लागत का 10 फीसदी जुर्माना लगेगा.
• यदि तय नियमों का पालन नहीं किया गया तो 10 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना या तीन वर्ष की सजा या फिर दोनों लगाने का प्रावधान है.
• गलत जानकारी देने या सही खुलासे नहीं करने पर परियोजना लागत का पांच फीसदी जुर्माना भी निर्माता को देना होगा.
• नियामक के पास यह अधिकार होगा कि अगर किसी निर्माता ने लगातार नियमों का उल्लंघन किया तो उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा. साथ ही नियामक इस तरह की परियोजनाओं को पूरी कराने के लिए आगे के कदम के बारे में फैसला करेगा.
• विधेयक में किसी परियोजना में खरीदारों से जुटाए गए धन का आधा 15 दिन के भीतर किसी अलग बैंक खाते में जमा कराना होगा और इस राशि का इस्तेमाल परियोजना के निर्माण में करना होगा. यद्यपि पिछली संप्रग सरकार ने रियल एस्टेट नियामक बिल में इस मद में राशि की मात्रा 70 फीसदी रखी थी जिसे कम कर दिया गया है.
• विधेयक के तहत आवासीय या वाणिज्यिक क्षेत्र में काम करने वाले भवन निर्माताओं को नियामकीय अधिकारियों के पास अपनी परियोजना का पंजीकरण कराना होगा.
• भवन निर्माताओं को अनिवार्य रूप से प्रमोटरों, परियोजना, लेआउट प्लान, विकास कार्यों से संबंधित सूची, जमीन की स्थिति, वैधानिक मंजूरियों की स्थिति, एग्रीमेंट के मसौदे आदि का ब्यौरा देना होगा.
• निर्माताओं को रियल एस्टेट एजेंटों, ठेकेदारों, आर्किटेक्ट और संरचना इंजीनियरों के बारे में भी नियामक को बताना होगा.
विधेयक में देशभर के लिए एकसमान नियामक व्यवस्था बनाने और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपाय शामिल किये गए हैं. इसके अलावा इस क्षेत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का भी प्रावधान है.
भू-सम्पदा (नियामक और विकास) विधेयक 2013 के प्रावधान
• जिन परियोजनाओं को अभी पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं मिला है, उन्हें भी इसके तहत लाया गया है. ऐसी परियोजनाओं को तीन महीने के अन्दर नियामक में पंजीकृत कराना होगा.
• इसमें राज्य स्तर पर रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERAs) नामक एक नियामक संस्था स्थापित करने का प्रावधान है.
• प्रस्तावित कानून के तहत अगर परियोजना का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है तो उस भवन निर्माता पर परियोजना लागत का 10 फीसदी जुर्माना लगेगा.
• यदि तय नियमों का पालन नहीं किया गया तो 10 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना या तीन वर्ष की सजा या फिर दोनों लगाने का प्रावधान है.
• गलत जानकारी देने या सही खुलासे नहीं करने पर परियोजना लागत का पांच फीसदी जुर्माना भी निर्माता को देना होगा.
• नियामक के पास यह अधिकार होगा कि अगर किसी निर्माता ने लगातार नियमों का उल्लंघन किया तो उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा. साथ ही नियामक इस तरह की परियोजनाओं को पूरी कराने के लिए आगे के कदम के बारे में फैसला करेगा.
• विधेयक में किसी परियोजना में खरीदारों से जुटाए गए धन का आधा 15 दिन के भीतर किसी अलग बैंक खाते में जमा कराना होगा और इस राशि का इस्तेमाल परियोजना के निर्माण में करना होगा. यद्यपि पिछली संप्रग सरकार ने रियल एस्टेट नियामक बिल में इस मद में राशि की मात्रा 70 फीसदी रखी थी जिसे कम कर दिया गया है.
• विधेयक के तहत आवासीय या वाणिज्यिक क्षेत्र में काम करने वाले भवन निर्माताओं को नियामकीय अधिकारियों के पास अपनी परियोजना का पंजीकरण कराना होगा.
• भवन निर्माताओं को अनिवार्य रूप से प्रमोटरों, परियोजना, लेआउट प्लान, विकास कार्यों से संबंधित सूची, जमीन की स्थिति, वैधानिक मंजूरियों की स्थिति, एग्रीमेंट के मसौदे आदि का ब्यौरा देना होगा.
• निर्माताओं को रियल एस्टेट एजेंटों, ठेकेदारों, आर्किटेक्ट और संरचना इंजीनियरों के बारे में भी नियामक को बताना होगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य निर्णय
एक अन्य फैसले में मंत्रिमंडल ने केन्द्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता पहली जनवरी 2015 से 6 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया. इससे महंगाई भत्ता बढ़कर 113 प्रतिशत हो गया है.
विदित हो कि यह विधयेक वर्ष 2009 से लटका हुआ है.
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