भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 8 अप्रैल 2015 को विनिमय व्यापार हेतु मुद्रा
व्युत्पन्न (डेरिवेटिव) की सीमा को बिना किसी अंतर्निहित जोखिम के घरेलू और विदेशी
निवेशकों के लिए 15 लाख अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाया. इससे पहले यह
सीमा 10 लाख डॉलर थी.
सेबी ने यह परिपत्र (सर्कुलर) 1 अप्रैल 2015
को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा संशोधन अधिसूचना दिए जाने
के बाद जारी किया.
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इस परिपत्र में कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक तथा घरेलू ग्राहक विदेशी मुद्रा में 15 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा प्रति विनिमय के समकक्ष तक का स्थान (दीर्घ अथवा सीमित) ले सकते हैं.
अधिसूचना के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अथवा घरेलू निवेशक यह सुनिश्चित कर लें कि शेयर बाजार में उनकी सीमित अवधि सभी अनुबंधों में अमरीकी डॉलर-भारतीय रूपए की निर्धारित सीमा से अधिक न हो साथ ही यूरो-भारतीय रुपये, जीबीपी-भारतीय रुपये तथा जापानी येन-भारतीय रुपये के युग्मों में सीमा प्रति विनिमय पाँच लाख डॉलर से अधिक न हो.
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इस परिपत्र में कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक तथा घरेलू ग्राहक विदेशी मुद्रा में 15 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा प्रति विनिमय के समकक्ष तक का स्थान (दीर्घ अथवा सीमित) ले सकते हैं.
अधिसूचना के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अथवा घरेलू निवेशक यह सुनिश्चित कर लें कि शेयर बाजार में उनकी सीमित अवधि सभी अनुबंधों में अमरीकी डॉलर-भारतीय रूपए की निर्धारित सीमा से अधिक न हो साथ ही यूरो-भारतीय रुपये, जीबीपी-भारतीय रुपये तथा जापानी येन-भारतीय रुपये के युग्मों में सीमा प्रति विनिमय पाँच लाख डॉलर से अधिक न हो.
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