राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम 2014 अधिसूचित-(17-APR-2015) C.A

| Friday, April 17, 2015
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 और संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 को 13 अप्रैल 2015 को अधिसूचित किया. इसका उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय एवं देश के 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा प्रणाली में बदलाव लाना है.
 
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को अधिसूचित करने के साथ ही यह कानून लागू हो गया और पुरानी प्रणाली खत्म हो गई.
संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार ने इसे अधिसूचित किया. इसके साथ ही यह अधिनियम प्रभावी हो गया.

इसी तरह 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम , 2014' (2014 का 40) की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार ने इसे भी अधिसूचित किया.
 

दोनों ही अधिनियम उसी दिन से प्रभावी हुआ जिस दिन केंद्र सरकार ने उन्हें सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया.

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के मुख्य प्रावधान
 
संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की संरचना एवं कामकाज का जिक्र है.
अधिनियम में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' द्वारा सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के चयन के लिए एक पारदर्शी एवं व्यापक आधार वाली प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है. 
पूर्ववर्ती कॉलेजियम प्रणाली की तरह ही राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' के अध्यक्ष भी भारत के प्रधान न्यायाधीश ही होंगे. 
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' के सदस्यों में सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री, भारत के प्रधानमंत्री की समिति द्वारा मनोनीत दो विख्यात व्यक्ति होंगें. 
दो विख्यात व्यक्तियों का चयन तीन सदस्यीय समिति करेगी.  इस समिति में प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता अथवा विपक्ष का नेता न होने की स्थिति में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे. कानून की धारा 5(6) कहती है कि अगर आयोग के दो सदस्य किसी की नियुक्ति के लिए सहमत नहीं हो तो आयोग उस व्यक्ति की नियुक्ति की सिफारिश नहीं करेगा.
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' की संरचना को समावेशी बनाने के मकसद से इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि एक जाने-माने व्यक्ति को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्गों, अलपसंख्यकों अथवा महिलाओं के वर्ग से मनोनीत किया जाएगा.
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' अपने नियम खुद ही तैयार करेगा.

पृष्ठभूमि
 
'संविधान (121वां संशोधन) विधेयक, 2014' और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014' नामक दो विधेयक 13 अगस्‍त, 2014 को लोकसभा में और 14 अगस्‍त 2014 को राज्‍यसभा में सर्वसम्‍मति से पारित हो गए थे. इसके बाद इन विधेयकों का अनुमोदन निर्धारित संख्‍या में राज्‍य विधानसभाओं ने कर दिया और फिर इसके बाद राष्‍ट्रपति की मंजूरी इन्‍हें मिल गई. 'संविधान (121वां संशोधन) विधेयक, 2014' को संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम का रूप दिया गया, जबकि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को 31 दिसंबर, 2014 को भारत के राजपत्र में प्रकशित किया गया.

विश्लेषण
उल्लेखनीय है कि राष्‍ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून पर सुनवाई करने के लिए सर्वोच्च न्यायलय
  में 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ बना दी गई है. ये पीठ 15 अप्रैल 2015 को मामले की सुनवाई शुरू करेगी.

अधिनियम की धारा 5(6) के विश्लेषण से स्पस्ट होता है कि इसमें प्रधान न्यायाधीश के नजरिये को नजरअंदाज करने की संभावना है, जबकि सर्वोच्च न्यायलय की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड मामले में कह चुकी है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में प्रधान न्यायाधीश की राय नजरअंदाज नहीं की जा सकती, जबकि नये कानून के मुताबिक आयोग का अल्प समूह (दो सदस्य) ऐसा कर सकते हैं.

नये कानून में दो विख्यात व्यक्तियों की योग्यता क्या होगी यह तय नहीं किया गया है और न ही यह तय है कि वे किस क्षेत्र से चुने जाएंगे जबकि इन दो सदस्यों के पास बाकी के चार सदस्यों की राय पलटने का अधिकार होगा.

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