18 अप्रैल 2015 को महाराष्ट्र सरकार ने औपनिवेशिक काल
से मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों को पुलिस द्वारा दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर को
बंद करने का फैसला लिया. सरकार ने इसे समय और संसाधनों की बर्बादी करार दिया.
यह निर्देश सभी मंत्रियों और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों पर लागू होगा. गार्ड ऑफ ऑनर मंत्रियों और अधिकारियों को उनकी जिला स्तरीय यात्राओं के दौरान दिया जाता था.
गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान करने की यह प्रथा ब्रिटिश काल के गवर्नर जनरल और वायसराय के लिए आरक्षित की गयी थी.
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