भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने 10 अप्रैल 2015
को सभी निजी अस्पतालों को यह निर्देश जारी किया कि वे एसिड अटैक
हमले के शिकार लोगों का मुफ्त एवं पूरा इलाज करेंगे.
यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर जनहित याचिका (पीआईएल) लक्ष्मी बनाम संघ के अंतर्गत
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर एवं यूयू ललित वाली बेंच द्वारा दिया गया.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि उपचार में पुनर्निर्माण सर्जरी, नि:शुल्क दवा, बिस्तर, पुनर्वास एवं देखभाल शामिल हैं.
इस आदेश में अदालत द्वारा दिए गए पिछले आदेशों के उद्देश्य अर्थात् एसिड हमले के पीड़ितों को न्याय, राहत और पुनर्वास उपलब्ध करवाना शामिल हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के पिछले आदेश
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन करके एसिड हमलों से संबंधित विशेष खंड शामिल करना. इसके तहत केंद्र सरकार ने फ़रवरी 2013 को भारतीय दंड संहिता में धारा 357C को शामिल किया.
एसिड हमले के शिकार लोगों के लिए मुआवजे के रूप में कम से कम तीन लाख रुपये निर्धारित करना.
एसिड की खुली बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाना.
यह फैसला 2014 में दर्ज किये गए 309 मामलों तथा 2013 व 2012 के क्रमशः 66 और 85 मामलों के लिए महत्वपूर्ण है.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि उपचार में पुनर्निर्माण सर्जरी, नि:शुल्क दवा, बिस्तर, पुनर्वास एवं देखभाल शामिल हैं.
इस आदेश में अदालत द्वारा दिए गए पिछले आदेशों के उद्देश्य अर्थात् एसिड हमले के पीड़ितों को न्याय, राहत और पुनर्वास उपलब्ध करवाना शामिल हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के पिछले आदेश
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन करके एसिड हमलों से संबंधित विशेष खंड शामिल करना. इसके तहत केंद्र सरकार ने फ़रवरी 2013 को भारतीय दंड संहिता में धारा 357C को शामिल किया.
एसिड हमले के शिकार लोगों के लिए मुआवजे के रूप में कम से कम तीन लाख रुपये निर्धारित करना.
एसिड की खुली बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाना.
यह फैसला 2014 में दर्ज किये गए 309 मामलों तथा 2013 व 2012 के क्रमशः 66 और 85 मामलों के लिए महत्वपूर्ण है.
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