केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली में शैक्षिक संस्थानों हेतु 'भारत रैंकिंग 2017' जारी किया. देश में भारतीय संस्थानों की यह रैंकिंग दूसरी बार जारी की गई. रैंकिंग में भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलोर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया.
रैंकिंग के इस दूसरे संस्करण में कुल 2995 संस्थान सम्मिलित हुए. जिनमे 232 विश्वविद्यालय, 1024 प्रौद्योगिकी संस्थान, 546 प्रबंधन संस्थान, 318 फार्मेसी संस्थान तथा 637 सामान्य स्ऩातक महाविद्यालय और अन्य संस्थान शामिल हैं.
मुख्य तथ्य-
रैंकिंग के इस दूसरे संस्करण में कुल 2995 संस्थान सम्मिलित हुए. जिनमे 232 विश्वविद्यालय, 1024 प्रौद्योगिकी संस्थान, 546 प्रबंधन संस्थान, 318 फार्मेसी संस्थान तथा 637 सामान्य स्ऩातक महाविद्यालय और अन्य संस्थान शामिल हैं.
मुख्य तथ्य-
- इसके तहत विभिन्न श्रेणियों में देश के टॉप 100 संस्थानों की रैंकिंग जारी की गयी.
- नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी एनआइआरएफ द्वारा तैयार यह रैंकिंग पांच श्रेणियों में जारी की गयी.
- जिसमें ओवरऑल, कालेज, विश्वविद्यालय, मैनेजमेंट व इंजीनियरिंग श्रेणी शामिल है.
- ओवरऑल व ‘विश्वविद्यालय' रैंकिंग में पहला स्थान इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस (आइआइएससी), बेंगलुरु को मिला है.
- वहीं जेएनयू को ओवरऑल में छठा स्थान मिला.
- ओवरऑल श्रेणी में आइआइटी (आइएसएम) धनबाद को 53वां और आइआइटी पटना को 83वां रैंक हासिल हुआ है.
- 10 शीर्ष कालेजों की श्रेणी में डीयू के छह कालेज हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार इस रैंकिंग से संस्थाओं के बीच उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु उचित प्रतिस्पर्धा की शुरुआत होगी. इससे देश के प्रत्यय पत्र की वैश्विक स्केलिंग भी बढ़ गई है. रैंकिंग का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को आगे बढ़ाना है.
इस प्रक्रिया से संस्थानों के अलावा अब माता-पिता और छात्रों को भी किसी विशेष विश्वविद्यालय, महाविद्यालय या व्यावसायिक संस्थान की रैंकिंग और गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकेगी.
अब तक एनएएसी और एनबीए का शैक्षिक संस्थानों के आकलन करने के लिए उपयोग किया जाता रहा है, किन्तु अब केंद्र सरकार ने पारदर्शिता और विश्वसनीयता लाने हेतु अद्वितीय परिवर्तन किया.
केंद्र सरकार ने गुणवत्ता प्रदान करने वाले शिक्षा संस्थानों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की. यह नीति सभी संस्थानों को अपना प्रदर्शन और उत्कृष्टता बढ़ाने हेतु प्रेरित करेगी.
रैंकिंग के मानक
इस प्रक्रिया से संस्थानों के अलावा अब माता-पिता और छात्रों को भी किसी विशेष विश्वविद्यालय, महाविद्यालय या व्यावसायिक संस्थान की रैंकिंग और गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकेगी.
अब तक एनएएसी और एनबीए का शैक्षिक संस्थानों के आकलन करने के लिए उपयोग किया जाता रहा है, किन्तु अब केंद्र सरकार ने पारदर्शिता और विश्वसनीयता लाने हेतु अद्वितीय परिवर्तन किया.
केंद्र सरकार ने गुणवत्ता प्रदान करने वाले शिक्षा संस्थानों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की. यह नीति सभी संस्थानों को अपना प्रदर्शन और उत्कृष्टता बढ़ाने हेतु प्रेरित करेगी.
रैंकिंग के मानक
- प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों की संख्या, प्राप्त पेटेंट और परिसर प्लेसमेंट के आंकड़े भी सरकारी सहायता प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण मानक होंगे.
- रैंकिंग और गुणवत्ता में सार्वजनिक धारणा, नियोक्ता की धारणा और शैक्षिक धारणा को भी महत्व प्रदान किया जाएगा.
- टॉप 100 में बिहार से मात्र एक संस्थान आइआइटी पटना को स्थान मिला है.
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