केंद्र सरकार अगले वर्ष से 'नीट' उर्दू में भी आयोजित करे: सुप्रीम कोर्ट-(14-APR-2017) C.A

| Friday, April 14, 2017
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देशित किया है कि अगले वर्ष (2018-2019) से 'नीट' (NEET) एग्जाम में उर्दू को भाषा के तौर पर शामिल किया जाए. इस मामले में जमात-ए-इस्लामी हिन्द की स्टूडेंट विंग स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई.
जस्टिस दीपक मिश्र, एएम खानविलकर और एमएम शंतानागौदर की बेंच ने जमात-ए-इस्लामी हिन्द की स्टूडेंट विंग स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सीबीएसई के वकील की दलील थी कि इस बार 7 मई 2017 से (NEET) 'नीट' की परीक्षा का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है. ऐसे में 11 हजार छात्रों हेतु परीक्षा पद्धति में यह बदलाव संभव नहीं है.

केंद्र सरकार की ओर से भी स्पष्टीकरण दिया गया कि सरकार को (NEET) 'नीट' में उर्दू को बतौर लैंग्वेज शामिल करने में कोई आपत्ति नहीं है. इस बार का परीक्षा कार्यक्रम निर्धारित किया जा चुका है. अगले वर्ष से इसे लागू करने की योजना तैयार की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्त्ता से कहा, वर्ष '2017' के लिए (NEET) 'नीट' परीक्षा 7 मई को होनी है. इस वर्ष उर्दू को बतौर लैंग्वेज शामिल किया जाना संभव नहीं है.

इसके बाद न्यायलय ने वर्ष 2018-19 के लिए (अगले साल से) (NEET) 'नीट' में उर्दू को बतौर लैंग्वेज शामिल करने का यूनियन ऑफ इंडिया को निर्देश दिया. हालांकि प्रतिपक्ष के वकील इसे इसी वर्ष लागू करवाना चाहते थे.
न्यायलय में तर्क-
  • इस मामले में 10 मार्च को हुई सुनवाई में स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन की ओर से तर्क दिया गया था कि (NEET) 'नीट' से बतौर लैंग्वेज उर्दू को हटाया जाना भेदभाव है.
  • पिटीशनर ने यह भी कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) और सीबीएसई का कहना था कि किसी भी राज्य सरकार ने (NEET) 'नीट' उर्दू में कराने की गुजारिश नहीं की है.
  • बाद में महाराष्ट्र और तेलंगाना सरकार ने भी इसकी मांग की.
  • पीटिशर के अनुसार एमसीआई ने कहा था कि अगर कोई राज्य सरकार इसकी मांग करेगी तो वो इसके बारे में सोचेगी.
(NEET) 'नीट' में 10 भाषा-
वर्तमान में मेडिकल कोर्स में दाखिले हेतु नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) आठ भाषा में आयोजित किया जाता है.
इन भाषाओँ में हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, मराठी, उड़िया, बंगाली, असमी, तेलगु, तमिल और कन्नड़ शामिल हैं.

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