आईआईटी खड़गपुर में अगस्त 2017 से आर्किटेक्चर के अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स को फर्स्ट और सेकेंड ईयर में वास्तु शास्त्र के बुनियादी नियम पढ़ाए जाएंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर में पोस्ट ग्रैजुएशन करने वाले या रिसर्च स्कॉलर्स को इस विषय को विस्तार से पढ़ाया जाएगा.
अब तक पश्चिम में प्रचलित अवधारणाओं पर होने वाली वास्तुशिल्प यानि आर्किटेक्चैर की पढ़ार्इ को बदला जा रहा है तथा इसमें प्राचीन भारत के वास्तुशिल्प को शामिल किया जाएगा. यह सर्वविदित है कि एक अच्छे आर्किटेक्ट को वास्तुु शास्त्र की जानकारी होनी जरूरी है. आइआइटी खड़गपुर का मानना है कि वास्तु शास्त्र की नींव पर ही भारतीय आर्किटेक्चर आधारित है.
देश का सबसे पुराना और सबसे बड़ा आइआइटी कॉलेज अगस्त 2017 से फर्स्ट और सेकेंड इयर के अंडर ग्रेजुएट आर्किटेक्चर छात्रों हेतु वास्तु शास्त्र की मौलिक जानकारी उपलब्ध कराएगा तथा जो पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं या फिर रिसर्च स्कॉलर को इस विषय का गहराई से अध्ययन कराया जाएगा.
कंसेप्ट के रूप में वास्तु शास्त्र को आर्किटेक्चर एंड इंफ्रास्ट्राक्चर के सिलेबस में नहीं रखा गया था. हालांकि फैकल्टी का मानना है कि अब तक पश्चिम में प्रचलित कंसेप्ट के आधार पर छात्रों को पढ़ाया जाता है, लेकिन उन्हें प्राचीन भारत के आर्किटेक्चर संबंधित परंपराओं से दूर रखा जाता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. उनका मानना है कि वास्तु अध्ययन का धर्म से कोई जुड़ाव नहीं है बल्कि यह प्राचीन भारतीय कंसेप्ट विज्ञान पर आधारित है.
वास्तु शास्त्र के बारे में:
• वास्तु शास्त्र वास्तुकला की एक परंपरागत हिंदू प्रणाली है.
• वास्तु शास्त्र घर, प्रासाद, भवन अथवा मन्दिर निर्मान करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है.
• डिजाइन दिशात्मक संरेखण के आधार पर कर रहे हैं. यह हिंदू वास्तुकला में लागू किया जाता है, हिंदू मंदिरों के लिये और वाहनों सहित, बर्तन, फर्नीचर, मूर्तिकला, चित्रों आदि.
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