भारत ने अपने पुराने मानकों में परिवर्तन करते हुए दृष्टिहीनता की परिभाषा में बदलाव की घोषणा की है. अब यह आकलन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय किये गये वैश्विक मानक के आधार पर किया जाएगा.
भारत के मौजूदा मानकों के तहत छह मीटर तक अंगुलियों को देखने में असमर्थ व्यक्ति को दृष्टिहीन माना जाता है जबकि डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार यह दूरी तीन मीटर है. अब भारत में भी तीन मीटर के मानक को मान्यता प्रदान की गयी है.
भारत के मौजूदा मानकों के तहत छह मीटर तक अंगुलियों को देखने में असमर्थ व्यक्ति को दृष्टिहीन माना जाता है जबकि डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार यह दूरी तीन मीटर है. अब भारत में भी तीन मीटर के मानक को मान्यता प्रदान की गयी है.
दृष्टिहीनता की नई परिभाषा
• दृष्टिहीनता की बदली परिभाषा के तहत अब 3 मीटर तक अंगुलियों को देख पाने में असमर्थ व्यक्ति को दृष्टिहीन माना जाएगा.
• भारत ने छह मीटर का मानक वर्ष 1976 में अपनाया था.
• डब्ल्यूएचओ ने भारत के लिए वर्ष 2020 तक दृष्टिहीनों की संख्या को कुल जनसंख्या के 0.3 फीसद तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
• राष्ट्रीय दृष्टिहीनता सर्वेक्षण 2007 के आंकड़ों के अनुसार भारत में दृष्टिहीनों की संख्या 1.20 करोड़ है.
• नए मानक अपनाने पर भारत में दृष्टिहीनों की संख्या 80 लाख रह जाएगी.
राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीबी) की उपमहानिदेशक डॉ. प्रोमिला गुप्ता ने बताया कि स्वदेशी परिभाषा के कारण भारत में ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा होती थी. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की स्थिति कमजोर दिखती थी.
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