डब्ल्यूएचओ के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, पर्यावरण और स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक विभाग की निदेशक मारिया नीयरा ने एक बयान में कहा कि दूषित पानी से न केवल पेचिश, हैजा, टायफाइड और पोलियो का जोखिम होता है बल्कि यह इंटेस्टाइनल वॉर्म्स (आंतों के कीड़े), शिस्टोसोमासिस और ट्रेकोमा सहित कई उष्णकटिबंधीय रोगों का एक प्रमुख कारण है.
डब्ल्यूएचओ ने यूएन-वॉटर की ओर से एक नई रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति से पता चलता है कि देश सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत जल और स्वच्छता के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तेजी से खर्च को नहीं बढ़ा रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हर साल लाखों लोग दूषित पानी पीने की वजह से मर जाते हैं अतः लोगों तक पीने का स्वच्छ और स्वस्थ पानी पहुंचाने के लिए व्यापक पूंजी निवेश की ज़रूरत है.
भारत की स्थिति सबसे ख़तरनाक:
दूषित पेयजल के मामले में भारत की स्थिति सबसे चिंताजनक है.
इस देश में येसे लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है जिनकी पीने के स्वच्छ पानी तक पहुंच नहीं है. इसके चलते लोगों को काफ़ी पैसे ख़र्च करके पीना का साफ़ पानी ख़रीदना पड़ता है.
इसी तरह से भारत के धरती के ऊपर पाए जाने वाले जल स्रोतों का लगभग 80 प्रतिशत भाग दूषित है. इसी तरह दूषित पानी पीने के कारण भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं.
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