जीएसटी बिल को संसद ने मंजूरी प्रदान की-(07-APR-2017) C.A

| Friday, April 7, 2017
संसद ने 6 अप्रैल 2017 को वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी. नयी कर प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं और राज्यों के हित पूरी तरह से सुरक्षित रखे गए हैं. कृषि पर कोई कर नहीं लगाया गया है.

राज्यसभा ने चारों बिल केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी विधेयक), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी विधेयक), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी विधेयक) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को सम्मिलित चर्चा के बाद ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान करने के बाद लोकसभा को वापस कर दिया.

प्रमुख तथ्य-
  • कई खाद्य उत्पाद जिन पर अभी शून्य कर लगता है, जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद भी उन पर कोई कर नहीं लगेगा.
  • जीएसटी व्यवस्था के तहत 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें तय की गई हैं.
  • राज्यों की राय के आधार पर जीएसटी (GST) में रीयल इस्टेट को शामिल नहीं किया गया है.
  • धन विधेयक होने के कारण राज्यसभा को इन चारों विधेयकों पर केवल चर्चा करने का अधिकार था.
  • लोकसभा पूर्व में ही 29 मार्च 2017 को इन विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर चुकी है.
  • लक्जरी कारों, बोतल बंद वातित पेयों, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री पर इसके ऊपर अतिरिक्त उपकर भी लगाने की व्यवस्था है.
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई से लागू किया जाना प्रस्तावित है. जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है.
संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया. कानून संघीय ढांचे के आधार पर ही होगा. यह देश का एकमात्र ऐसा कर होगा जिसे राज्य एवं केन्द्र एक साथ एकत्र करेंगे.

जीएसटी के बारे में-
  • जीएसटी बिल के अनुसार 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जायेगा.
  • जीएसटी प्रणाली लागू होने से जिन राज्यों को नुकसान होगा, उन्हें इस राशि से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
  • यह व्यवस्था आरंभ के पांच वर्षों के लिए लागू होगी.
  • जीएसटी परिषद में कोई भी फैसला लेने में केंद्र का वोट केवल एक तिहाई है जबकि दो तिहाई वोट का अधिकार राज्यों के पास है.
  • जीएसटी के लागू होने के बाद केन्द्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित कई अन्य कर इसमें स्वत: ही समाहित हो जायेंगे.
  • समन्वित जीएसटी या आईजीएसटी के माध्यम से वस्तु और सेवाओं की राज्यों में आवाजाही पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा.
  • राज्यों के साथ चर्चा के बाद पेट्रोलियम पदार्थों को भी इसके दायरे में लाया गया है, इसे अभी शून्य दर के तहत रखा गया है.
  • धारा 23 के तहत कृषक एवं कृषि को जीएसटी में छूट प्रदान की गयी है.

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