डॉ. आंबेडकर को भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में जाना जाता है. वह एक भारतीय विधिशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और सामाजिक सुधारक थे जिन्होंने आधुनिक बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया था.
वर्ष 2017 की आंबेडकर जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार ने विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसमें भीम आधार प्लेटफार्म को आरंभ किया जाना एक विशेष पहल है.
डॉ. भीमराव आम्बेडकर
• भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत माना करते थे. डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का मूल नाम भीमराव था.
• उन्होंने मुंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास की. इस अवसर पर उनके शिक्षक श्री कृष्णाजी अर्जुन केलुस्कर ने स्वलिखित पुस्तक 'बुद्ध चरित्र' उन्हें प्रदान की.
• बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड की फेलोशिप पाकर भीमराव ने 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की. निचली जातियों को संस्कृत पढ़ने पर मनाही होने से वह फारसी लेकर उत्तीर्ण हुये.
• बी.ए. के बाद एम.ए. के अध्ययन हेतु बड़ौदा नरेश सयाजी गायकवाड़ की पुनः फेलोशिप पाकर वह अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिल हुये.
• उन्होंने 1916 में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से ही पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की, उनके पीएच.डी. शोध का विषय था 'ब्रिटिश भारत में प्रातीय वित्त का विकेन्द्रीकरण'.
• डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स एण्ड पोलिटिकल सांइस में एम.एससी. और डी. एस सी. और विधि संस्थान में बार-एट-लॉ की उपाधि हेतु स्वयं को पंजीकृत किया.
• डॉ. अम्बेडकर वैश्विक युवाओं के लिये प्रेरणा हैं क्योंकि उन्होंने बीए, एमए, एमएससी, पीएचडी, बैरिस्टर, डीएससी, डी.लिट्. आदि कुल 26 उपाधियां हासिल कीं.
डॉ. अम्बेडकर का संविधान निर्माण में योगदान
• डॉ. आंबेडकर ने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 17 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार कर 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंपा.
• उन्होंने निर्वाचन आयोग, योजना आयोग, वित्त आयोग, महिला पुरुष के लिये समान नागरिक हिन्दू संहिता, राज्य पुनर्गठन, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, काम्पट्रोलर व ऑडीटर जनरल आदि का भारत के लिए गठन किया.
• उन्होंने प्रजातंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य के तीनों अंगों न्यायपालिका, कार्यपालिका एवं विधायिका को स्वतंत्र और पृथक बनाया.
• उन्होंने संविधान द्वारा विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों की सहभागिता संविधान द्वारा सुनिश्चित की.
0 comments:
Post a Comment