चीनी एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के शोधकर्ताओं ने मिट्टी में पाए जाने वाले एक कवक एस्परगिलस टयूबेंसिस की खोज की है. यह कवक एस्परगिलस टयूबेंसिस अपने एंजाइमों का उपयोग कर प्लास्टिक की सामग्री को भी तोड़ (नष्ट) सकते हैं.
चीनी शोधकर्ताओं की यह खोज प्लास्टिक द्वारा किए जाने वाले पर्यावरण के विनाश और पर्यावरण बर्बादी की बढ़ती हुई समस्या का समाधान करने में मदद कर सकती है, जिसके कारण पर्यावरण दूषित होता रहता है.
मुख्य तथ्य
चीनी शोधकर्ताओं की यह खोज प्लास्टिक द्वारा किए जाने वाले पर्यावरण के विनाश और पर्यावरण बर्बादी की बढ़ती हुई समस्या का समाधान करने में मदद कर सकती है, जिसके कारण पर्यावरण दूषित होता रहता है.
मुख्य तथ्य
• प्लास्टिक की सामग्री को तोड़ने (नष्ट) यानि खाने वाले कवक एस्परगिलस टयूबेंसिस की खोज चीनी शोधकर्ताओं ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद में की.
• प्लास्टिक को नष्ट करने वाले यानि प्लास्टिक को खाने वाले जीवधारी की खोज की उम्मीद में वैज्ञानिकों ने मिट्टी के नमूनों और विभिन्न प्रकार के कचरे के नमूने ले लिए तब इस शोष का आभास हुआ.
• वैज्ञानिकों ने पाया कि जो कवक आम तौर पर मिट्टी में रहता है, वह प्लास्टिक की सतह पर भी उत्पन्न हो सकता है और बढ़ भी सकता है.
• वैज्ञानिकों के अनुसार यह कवक उत्पत्ति के बाद विकास की अपनी प्रक्रिया में एंजाइम को गुप्त रखता है. जब यह एक प्लास्टिक की सतह पर बढ़ता है, तो प्लास्टिक के अणुओं या पॉलिमर के बीच रासायनिक बांड को तोड़ (यानि खा ) सकता है.
• उन्नत माइक्रोस्कोपी और स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों के उपयोग के साथ-साथ शोध टीम ने पाया कि कवक भी पॉलिमर को तोड़ने में मदद करने के लिए अपनी बुद्धिमत्ता (फफूद द्वारा पैदा की गई रूट-सारंग तंतुओं का नेटवर्क) और शारीरिक ताकत का भी उपयोग करता है.
• चीनी एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के शोधकर्ताओं द्वारा की गयी यह अपनी तरह की पहली ऐसी खोज है जो प्लास्टिक के निपटान की संभावना को सुरक्षित तरीके से वास्तविकता में बदल सकता है.
• चीनी एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के शोधकर्ताओं द्वारा की गयी यह अपनी तरह की पहली ऐसी खोज है जो प्लास्टिक के निपटान की संभावना को सुरक्षित तरीके से वास्तविकता में बदल सकता है.
• इससे पहले, प्लास्टिक कचरे से निपटने हेतु किए गए सभी प्रयास प्लास्टि को दफनाने, रीसाइक्लिंग, जलाए जाने, मानव स्वास्थ्य के लिए अनिश्चित, महंगा और खतरनाक साबित हुआ है.
0 comments:
Post a Comment