ग्रीक प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने 27 जून 2015 को ट्रोइका अर्थात् अंतरराष्ट्रीय मुद्रा
कोष (आईएमएफ), यूरोपीयन कमीशन (ईसी) और यूरोपीयन सेंट्रल
बैंक (ईसीबी) द्वारा प्रस्तुत बेलआउट कार्यक्रम के विस्तार के लिए जनमत संग्रह
कराने की घोषणा की.
ग्रीस संसद द्वारा 5 जुलाई 2015 को जनमत संग्रह पर वोटिंग कराई जाएगी. सिप्रास ने उधारदाताओं द्वारा रखी गयी कठोर शर्तों से निपटने के लिए जनमत संग्रह कराने का निर्णय लिया है. उधार चुकाने की अंतिम तिथि 30 जून 2015 है, इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण चुकाने की अंतिम तिथि भी है.
ट्रोइका के अनुसार, ग्रीस को प्राथमिक आर्थिक अधिशेष राशि दो वर्ष में जुटानी होगी जिससे 15.5 बिलियन यूरो के फंड का लाभ उठाया जा सकेगा लेकिन इसके लिए पेंशन एवं टैक्स सुधार की आवश्यकता है और सरकार इसके लिए अनिच्छुक दिख रही है.
ग्रीस संसद द्वारा 5 जुलाई 2015 को जनमत संग्रह पर वोटिंग कराई जाएगी. सिप्रास ने उधारदाताओं द्वारा रखी गयी कठोर शर्तों से निपटने के लिए जनमत संग्रह कराने का निर्णय लिया है. उधार चुकाने की अंतिम तिथि 30 जून 2015 है, इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण चुकाने की अंतिम तिथि भी है.
ट्रोइका के अनुसार, ग्रीस को प्राथमिक आर्थिक अधिशेष राशि दो वर्ष में जुटानी होगी जिससे 15.5 बिलियन यूरो के फंड का लाभ उठाया जा सकेगा लेकिन इसके लिए पेंशन एवं टैक्स सुधार की आवश्यकता है और सरकार इसके लिए अनिच्छुक दिख रही है.
वामपंथी सरकार जनवरी 2015 को इसी वायदे पर सत्ता में आई कि वह मितव्ययता के लिए किये जा रहे अनावश्यक प्रयासों को समाप्त करेगी.
बेलआउट फंड्स के बिना ग्रीस पर लोन चुकाने में असमर्थ है जिसके परिणामस्वरूप पूंजी पर नियंत्रण रखना तथा अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत को सुधारना मुश्किल हो जायेगा.
यदि ग्रीस की जनता बेलआउट कार्यक्रम के पक्ष में वोट करती है तो नयी सरकार को कर्जदाताओं से बात करनी होगी एवं सुधारों को लागू करना होगा.
यदि ग्रीस की जनता इसके विपक्ष में वोट करती है तो इसका अर्थ होगा की ग्रीस को यूरोज़ोन एवं यूरोपियन यूनियन से बाहर होने के मत को मजबूती मिली है.
ग्रीस वर्ष 2009 से आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है तथा इस समय यह कुल 320 बिलियन यूरो के कर्ज़ तले दबा है. यह कर्ज़ ग्रीस के सकल घरेलू उत्पाद का 180 प्रतिशत है तथा यूरोपियन यूनियन द्वारा दिए जाने वाले कुल कर्ज़ का 2 प्रतिशत है.
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