गोवा स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) के वैज्ञानिकों के एक दल ने 15 जुलाई 2015 को गोवा की जुआरी नदी पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बंदरगाह के अवशेषों की खोज की है.
यह बंदरगाह पश्चिमी तट पर व्यापार का सबसे प्राचीन प्रमाण है.
इस बंदरगाह का निर्माण 3500 ईसवी से 1000 ईसवी के मध्य अनुमानित किया गया है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है की इस बंदरगाह से गुजरात के लोथल में स्थित डॉकयार्ड की तरह एक डॉकयार्ड मिल सकता है.
विदित हो भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा 1954 में गुजरात के लोथल में प्राचीनतम डॉकयार्ड की खोज की गई थी.
यह बंदरगाह पश्चिमी तट पर व्यापार का सबसे प्राचीन प्रमाण है.
इस बंदरगाह का निर्माण 3500 ईसवी से 1000 ईसवी के मध्य अनुमानित किया गया है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है की इस बंदरगाह से गुजरात के लोथल में स्थित डॉकयार्ड की तरह एक डॉकयार्ड मिल सकता है.
विदित हो भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा 1954 में गुजरात के लोथल में प्राचीनतम डॉकयार्ड की खोज की गई थी.
खोज के निष्कर्ष
• इस क्षेत्र का अन्वेषण कार्य पूरा हो चुका है और वैज्ञानिकों ने नदी में जा रही सीढ़ियों की खोज की है. नदी के समानांतर इतनी बड़ी दीवार यह इंगित करती है की प्राचीनकाल में यहाँ एक बंदरगाह था.
• इस खोज से यह निष्कर्ष निकला है कि यह बंदरगाह गोवा की प्राचीन राजधानी ओल्ड गोवा को जोड़ता था.
• एनआईओ के वैज्ञानिक जुआरी नदी के पास स्थित 1.2 किलोमीटर लम्बी दीवार पर लम्बे समय से अनुसंधान कर रह थे यह दीवार गोवा की राजधानी से कुछ ही दूरी पर स्थित है. यह क्षेत्र प्राचीनकाल में गोपाकापत्तिनम के नाम से जाना जाता था.
अब वैज्ञानिक इस प्राचीन बंदरगाह की सही उम्र का पता लगाने के लिए रेडियोकार्बन पद्धति का प्रयोग करेंगे.
• इस खोज से यह निष्कर्ष निकला है कि यह बंदरगाह गोवा की प्राचीन राजधानी ओल्ड गोवा को जोड़ता था.
• एनआईओ के वैज्ञानिक जुआरी नदी के पास स्थित 1.2 किलोमीटर लम्बी दीवार पर लम्बे समय से अनुसंधान कर रह थे यह दीवार गोवा की राजधानी से कुछ ही दूरी पर स्थित है. यह क्षेत्र प्राचीनकाल में गोपाकापत्तिनम के नाम से जाना जाता था.
अब वैज्ञानिक इस प्राचीन बंदरगाह की सही उम्र का पता लगाने के लिए रेडियोकार्बन पद्धति का प्रयोग करेंगे.
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