भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 20 जुलाई 2015 को जारी रिपोर्ट के अनुसार इसरो ने स्वदेशी तकनीक से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का 16 जुलाई 2015 को सफल परीक्षण किया.
इसरो ने ग्राउंड टेस्टिंग के तहत गर्म अवस्था में इंजन की सहनशक्ति का 800 सेकेंड (13.33 मिनट) तक परीक्षण किया. यह परीक्षण तमिलनाडु स्थित महेंद्रगिरी प्रोपल्सन सेंटर में किया गया. यह सी-25 क्रायोजेनिक स्तर के लिए मददगार साबित होगा. यह अगली पीढ़ी वाले जीएसएलवी मार्क-3 का विकसित स्वरूप है.
इसरो ने ग्राउंड टेस्टिंग के तहत गर्म अवस्था में इंजन की सहनशक्ति का 800 सेकेंड (13.33 मिनट) तक परीक्षण किया. यह परीक्षण तमिलनाडु स्थित महेंद्रगिरी प्रोपल्सन सेंटर में किया गया. यह सी-25 क्रायोजेनिक स्तर के लिए मददगार साबित होगा. यह अगली पीढ़ी वाले जीएसएलवी मार्क-3 का विकसित स्वरूप है.
सी-25 श्रेणी का क्रायोजेनिक इंजन गैस जनरेटर साइकल पर आधारित होगा, जिसमें अत्यंत कम तापमान वाले प्रणोदक का इस्तेमाल किया जा सकेगा. इंजन की डिजाइन से लेकर उसके निर्माण तक का काम इसरो के ही विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों द्वारा किया गया.
इससे पहले 5 जनवरी 2014 को 12.5 टन प्रणोदक ले जाने में सक्षम क्रायोजेनिक इंजन का जीएसएलवी मार्क-2 के साथ सफल परीक्षण किया गया था. क्रायोजेनिक इंजन बनाने पर भारत को दूसरे देशों पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा.
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