17 जुलाई 2015 को भारतीय प्रतिस्पर्धी आयोग ( सीसीआई) ने सार्वजनिक क्षेत्र की चार बीमा कंपनियों पर 671.05 करोड़ रुपयों का जुर्माना लगा दिया.
यह जुर्माना साल 2010-11, 2011-12, 2012-13 के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना हेतु बीमा सेवा प्रदाताओं को चुनने के लिए केरल सरकार द्वारा शुरु की गई बोली प्रक्रिया में हेर–फेर करने की वजह से लगाया गया था. इस योजना से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों और गरीब परिवारों को लाभ मिलना था.
यह जुर्माना साल 2010-11, 2011-12, 2012-13 के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना हेतु बीमा सेवा प्रदाताओं को चुनने के लिए केरल सरकार द्वारा शुरु की गई बोली प्रक्रिया में हेर–फेर करने की वजह से लगाया गया था. इस योजना से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों और गरीब परिवारों को लाभ मिलना था.
कंपनियां और उनपर जुर्माना इस प्रकार है– नेशनल इंश्योरेंस (162.80 करोड़ रुपये), न्यू इंडिया एश्योरेंस (251.07 करोड़ रुपये), ओरिएंटल इंश्योरेंस (100.56 करोड़ रुपये) और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस (156.62 करोड़ रुपये).
ये आदेश सीसीआई को प्रतिस्पर्धी अधिनियम, 2002 की धारा 19 (1) के तहत चार बीमा कंपनियों के खिलाफ मिली गुमनाम सूचना के आधार पर पारित किए गए. सूचना में अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों का कथित उल्लंघन करने की बात कही गई थी. धारा 3 में बोली में हेराफेरी सहित विरोधी समझौतों के मामलों की जांच की जाती है.
आयोग ने नोट किया कि इन कंपनियों के बीच की बहस का परिणाम बोली प्रक्रिया में हेरफेर रहा जो कि अधिनियम की धारा 3(1) के साथ धारा 3(3)(d) के प्रावधानों का उल्लंघन है.
अपने आदेश में निष्पक्ष व्यापार नियामक ने उनसे प्रतिस्पर्धा विरोध को खत्म करने को कहा.
ये आदेश सीसीआई को प्रतिस्पर्धी अधिनियम, 2002 की धारा 19 (1) के तहत चार बीमा कंपनियों के खिलाफ मिली गुमनाम सूचना के आधार पर पारित किए गए. सूचना में अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों का कथित उल्लंघन करने की बात कही गई थी. धारा 3 में बोली में हेराफेरी सहित विरोधी समझौतों के मामलों की जांच की जाती है.
आयोग ने नोट किया कि इन कंपनियों के बीच की बहस का परिणाम बोली प्रक्रिया में हेरफेर रहा जो कि अधिनियम की धारा 3(1) के साथ धारा 3(3)(d) के प्रावधानों का उल्लंघन है.
अपने आदेश में निष्पक्ष व्यापार नियामक ने उनसे प्रतिस्पर्धा विरोध को खत्म करने को कहा.
0 comments:
Post a Comment